लखनऊ। बाघंबरी गद्दी मठ के उत्तराधिकारी को लेकर महंत नरेंद्र गिरि की तीन वसीयतों की जानकारी मिली है,इसमें उन्होंने बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने की बात कही थी। पिछले 10 सालों में महंत नरेंद्र गिरी ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर तीन वसीयतें बनाई। पहली बार बाघंबरी गद्दी मठ के महंत ने 2010 में उत्तराधिकारी को लेकर वसीयत की। इसमें उन्होंने अपने शिष्य बलबीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाया। साल 2011 में उन्होंने अपने दूसरे शिष्य स्वामी आनंद गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। इस बीच आनंद गिरि और उनके बीच बढ़ती दूरियों की वजह से चार जून 2020 को उन्होंने अपनी दोनों वसीयतों को निरस्थ कर दिया और तीसरी रजिस्टर्ड वसीयत तैयार करवाई, बलबीर गिरि को दोबार बाघंबरी मठ का उत्तराधिकारी घोषित किया।
महंत नरेंद्र गिरि के वकील ऋषिशंकर द्विवेदी ने बाघंबरी मठ के उत्तराधिकारी को लेकर तीन वसीयतों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 29 अगस्त 2011 को महंत ने अपनी दूसरी वसीयत में स्वामी आनंद गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाया। उस समय उन्होंने कहा कि बलबीर गिरि हरिद्वार में व्यस्त रहते हैं। इसलिए आनंद गिरि ही उनके उत्तराधिकारी होंगे, इस बीच कुंभी 2019 में महंत नरेंद्र गिरि ने बलबीर को हरिद्वार स्थित बिल्केश्व मंदिर से प्रयागराज के बाघंबरी मठ बुला लिया। पिछले तीन साल से बलबीर गिरि बाघंबरी गद्दी मठ में ही महंत नरेंद्र गिरि के साथ रहे थे।
निरंजगी अखाड़े की परंपरा के मुताबिक उत्तराधिकारी पर निर्णय किस आधार पर और कैसे किया जाता है, ये भविष्य में देखने वाली बात होगी, ऐसे में वसीयत, सुसाइड नोट के सच के आधार पर निरंजगी अखाड़े का निर्णय क्या होगा, इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगा,महंत के वकील रहे ऋषि शंकर द्विवेदी ने दावा किया कि जून 2020 में बलबीर गिरि को रजिस्टर्ड वसीयत में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है, कहा जा रहा है कि अगर अखाड़े सुसाइड नोट पर संदेह करते हैं और महंत नरेंद्र गिरि के हस्ताक्षर में कुछ गड़बड़ी को लेकर बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी नहीं मानते तो वो कोर्ट में जा सकते हैं।