सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई महाराष्ट्र सरकार को फटकार, जानिए पूरा मामला

राज्य सूचना आयोग में खाली पदों को जल्द भरने को कहा,आदेश का अनुपालन नहीं करने पर मुख्य सचिव को भेजा जाएगा समन

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई महाराष्ट्र सरकार को फटकार, जानिए पूरा मामला

file photo

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को राज्य सूचना आयोग में खाली पदों को नहीं भरने पर कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि सूचना आयोग के 11 में से 4 पद खाली हैं। जिन्हे तीन हफ्ते के अंदर सभी पदों को भरा जाय। कोर्ट ने चेतावनी भी दी कि अगर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो मुख्य सचिव को समन भेजा जाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, नागालैंड और तेलंगाना सहित कई राज्य सूचना आयोग में खाली पदों और सूचना आयोग में ललंबित अपील के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

पिछले महीने भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर रिपोर्ट देने को कहा था। कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग की राज्य समितियों और केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पदों पर समय सीमा के तहत नियुक्तियां करने के 2019 के उसके आदेश के अनुपालन पर स्थिति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्णा मुरारी की बेंच ने कहा था कि केंद्र और राज्यों को केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग में रिक्तियों की जानकारियां 4 सप्ताह के भीतर देनी होगी और साथ ही इन पदों पर नियुक्तियों के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी देनी होगी। इस याचिका में कानून के तहत सीआईसी और एसआईसी में नियुक्तियों पर 2019 के आदेश को लागू करने का अनुरोध किया गया है।  भारद्वाज ने सरकारी प्राधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया। कोर्ट ने सरकार को एक निर्धारित समयसीमा के भीतर और पारदर्शी तरीके से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि सीआईसी में अब भी तीन रिक्तियां हैं और सरकार को मौजूदा स्थिति की जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एसआईसी में रिक्तियां हैं और इस कोर्ट के निर्देशों को पूरी तरह से लागू करने की जरूरत है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरटीआई के तहत लगभग 75,000 और 36,000 मामले क्रमशः महाराष्ट्र एसआईसी और सीआईसी में लंबित हैं और आरटीआई कानून को निष्प्रभावी बनाने के प्रयास किए गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सीआईसी के अलावा अभी सात सदस्यों की नियुक्ति हुई है। इस प्रक्रिया को पूरा किया गया है और मार्च 2020 में खाली पदों को भरा गया है।
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