क्या यमन में फांसी से बच सकेगी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया?

16 जुलाई को तय की सज़ा की तारीख

क्या यमन में फांसी से बच सकेगी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया?

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यमन में सज़ा पाए हुए हत्या के एक मामले में केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को अब केवल कुछ ही दिन बाकी हैं। यमन सरकार ने 16 जुलाई को उनकी फांसी की तारीख तय कर दी है, जिससे उन्हें बचाने के लिए भारत और उनके परिवार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की घड़ी अब अंतिम दौर में प्रवेश कर चुकी है। हालांकि आधिकारिक तौर पर निमिषा के परिवार को अभी तक फांसी की तिथि की पुष्टि नहीं मिली है, उनके पति टोमी थॉमस ने कहा, “हमें अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, हम सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स से ये जान पाए हैं और प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

लेकिन यमन में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन ने पुष्टि करते हुए कहा, “सार्वजनिक अभियोजक ने जेल प्रशासन को आधिकारिक पत्र जारी कर दिया है। फांसी 16 जुलाई को होनी तय है। हालांकि अभी भी विकल्प खुले हैं और भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर सकती है।”

निमिषा प्रिया, जो कि पलक्कड़ (केरल) से हैं, साल 2008 में एक बेहतर जीवन की तलाश में यमन गई थीं। वहां उन्होंने स्थानीय नागरिक तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला, क्योंकि यमन के कानूनों के तहत विदेशी नागरिकों को स्थानीय साझेदार की आवश्यकता होती है।

निमिषा के परिवार के मुताबिक, महदी ने क्लिनिक की आय में हिस्सेदारी देना बंद कर दिया और फिर उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। यहां तक कि उसने उनके फर्जी विवाह दस्तावेज कोर्ट में पेश किए और निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, जिससे वह यमन नहीं छोड़ सकीं। जुलाई 2017 में, उन्होंने महदी को बेहोश करने के लिए सेडेटिव इंजेक्शन दिया, ताकि वे अपना पासपोर्ट वापस ले सकें, लेकिन ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। बाद में उन्होंने एक अन्य यमनी नर्स की मदद से शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में छुपा दिया।

2018 में कोर्ट ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। उनकी सभी अपीलें खारिज हो चुकी हैं। 2024 में यमन की सर्वोच्च अदालत ने उनकी सजा को बरकरार रखा, लेकिन इस्लामी कानून के तहत ‘दिया’ यानी रक्तमूल्य के आधार पर क्षमा का विकल्प खुला छोड़ा।

‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक एक समूह लंबे समय से उनकी सजा को रोकने के लिए महदी के परिवार से दिया (रक्तमूल्य)  के ज़रिए समझौता कराने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने पहले 1 मिलियन डॉलर (करीब ₹8.5 करोड़) देने की पेशकश की थी, लेकिन पीड़ित परिवार ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

बास्करन ने बताया कि “हमने पिछली बैठक में पेशकश की थी, लेकिन अब तक महदी के परिवार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। मैं एक बार फिर यमन जा रहा हूं ताकि बातचीत फिर से शुरू की जा सके।” एक्शन काउंसिल के सदस्य अगले दो दिनों में महदी के परिवार से दोबारा संपर्क करने की तैयारी में हैं।

भारत सरकार भी इस मामले में सक्रिय है, लेकिन जटिलता यह है कि निमिषा सना की उस जेल में बंद हैं जो हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है, और भारत की उनसे कोई औपचारिक कूटनीतिक बातचीत नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पहले कहा था, “हम निमिषा प्रिया की सजा से अवगत हैं और परिवार के प्रयासों को समर्थन दे रहे हैं। सरकार सभी संभव मदद उपलब्ध करा रही है।”

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी भी पिछले साल अप्रैल से सना में ही हैं और उनकी बेटी की जान बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं। भले ही समय बेहद कम बचा है, लेकिन परिवार और एक्शन काउंसिल अब भी आशावादी हैं। टोमी थॉमस ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “मुझे दिल से विश्वास है कि हम किसी समाधान पर पहुंच सकते हैं और निमिषा की जान बचा सकते हैं।”

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