सिल्क्यारा टनल में जान जोखिम में डालने वाले मजदूरों की सैलरी कितनी है?
सुरंग के सिल्कयारा हिस्से का लगभग 60 मीटर हिस्सा धंस जाने से 41 मजदूर अंदर फंस गए। मजदूर सुरंग के दो किलोमीटर के हिस्से में फंसे हुए थे जो निर्माण के लिए तैयार था। बचाव दल 17 दिनों के बाद इन 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब रहा।
Team News Danka
Published on: Wed 29th November 2023, 02:05 PM
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार रात बचा लिया गया और देश ने राहत की सांस ली | चारधाम परियोजना के तहत सिलक्यारा से बड़कोट तक निर्माणाधीन पांच किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को खुदाई कार्य के दौरान ढह गया था। सुरंग के सिल्कयारा हिस्से का लगभग 60 मीटर हिस्सा धंस जाने से 41 मजदूर अंदर फंस गए। मजदूर सुरंग के दो किलोमीटर के हिस्से में फंसे हुए थे जो निर्माण के लिए तैयार था। बचाव दल 17 दिनों के बाद इन 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब रहा।
चारधाम राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के लिए झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों के मजदूर काम कर रहे हैं। सिल्क्यारा सुरंग 1.5 अरब डॉलर के बजट वाली उसी परियोजना का हिस्सा है। इतने बड़े प्रोजेक्ट में काम करने वाले इन मजदूरों को कितना वेतन या भत्ता मिलेगा, इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं | इन मजदूरों की सैलरी की जानकारी हाल ही में सामने आई है|
हादसा 12 नवंबर सुबह 5.30 बजे हुआ जब सिल्कयारा टनल का काम चल रहा था| इसके बाद कुछ ही घंटों में ये खबर पूरे देश में फैल गई| इसकी जानकारी मजदूरों के परिजनों और रिश्तेदारों को मिली तो सभी की जान सांसत में पड़ गई| अलग-अलग राज्यों में इन मजदूरों के परिवारों ने उत्तरकाशी जाने की सोची, लेकिन कई लोगों के पास उत्तरकाशी के लिए ट्रेन टिकट खरीदने के पैसे नहीं थे। साथ ही ये भी नहीं कहा जा सका कि ये मजदूर कितने दिनों में बाहर आएंगे|
हादसे की खबर मिलते ही कई मजदूरों के परिवारों ने पैसे उधार लिए और घर का कीमती सामान बेचकर पैसे मिलते ही उत्तरकाशी पहुंच गए|कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के रहने वाले अखिलेश कुमार की| उन्होंने अपनी पत्नी के आभूषण भी बेच दिये और धन प्राप्त कर वे उत्तरकाशी में प्रवेश कर गये। इसी सुरंग में उनका बेटा फंस गया था| इस सुरंग में झारखंड का अनिल नाम का मजदूर भी फंसा हुआ था| उनका परिवार भी इसी तरह पैसे लेकर उत्तरकाशी पहुंचा था| यूपी के अखिलेश कुमार हों या झारखंड के अनिल, इनके पास रहने के लिए पक्का मकान तक नहीं है|
सुरंग में फंसे मजदूरों में से 15 झारखंड के, आठ उत्तर प्रदेश के, पांच-पांच ओडिशा और बिहार के, तीन पश्चिम बंगाल के, दो-दो असम और उत्तराखंड के और एक हिमाचल प्रदेश का है। हालांकि ये मजदूर अलग-अलग राज्यों से थे, लेकिन उनके पास उत्तकाशी जाने का कारण एक ही था। ये मजदूर चंद पैसों के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं| सुरंग खोदने वाले मजदूरों को दो समूहों में बांटा गया है। इनमें से कुशल श्रमिकों को 24 हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता है, जबकि पंप ड्राइवर, खुदाई करने वाले श्रमिकों जैसे अकुशल श्रमिकों को प्रति माह 18 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है।