नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट में कोरोना के कारण क्षय रोग यानी टीबी उन्मूलन के प्रयासों को हुए नुकसान की तस्वीर सामने रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से 2020 के बीच बड़ी संख्या में टीबी के मरीज जांच और इलाज से वंचित रह गए। रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान 197 देशों में टीबी के मरीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि महामारी ने टीबी उन्मूलन के प्रयासों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। 2010 में टीबी के कारण करीब 15 लाख लोगों ने जान गंवा दी। 2019 के मुकाबले मरने वालों की संख्या बढ़ी है। एक दशक से ज्यादा समय में पहली बार टीबी से मरने वालों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में यह चिंता भी जताई गई है कि 2021 और 2022 में टीबी के नए मरीजों और इससे जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनम ने कहा, ‘इस रिपोर्ट में हमारी चिंता को सही साबित किया है कि महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में आई कमी से टीबी उन्मूलन के वर्षो के प्रयास को झटका लग सकता है।’
मार्च, 2021 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय की रिपोर्ट में कहा गया था कि जनवरी से दिसंबर, 2020 के दौरान देश में टीबी के नए मामलों में 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट की बड़ी वजह कोरोना के कारण लगा देशव्यापी लाकडाउन था। लाकडाउन के कारण लोगों को अस्पताल जाने और जांच कराने में मुश्किल का सामना करना पड़ा था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में चिंताजनक बात यह है कि दुनियाभर में 41 लाख लोग टीबी के कारण खतरे की जद में हैं, लेकिन सरकारों को पता नहीं है।