भारत के विभिन्न हिस्सों में जहां एक ओर सीमाओं पर सैन्य तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर देश के धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्रों में भी देशभक्ति की लहर दिखाई दे रही है। नासिक के स्वामी अनिकेत जी शास्त्री के आश्रम में आयोजित ‘युद्ध विजय यज्ञ’ और देवास के खेड़ापति हनुमान मंदिर में किए गए सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ इसी भावना के प्रतीक हैं।
नासिक में युद्ध विजय यज्ञ का आयोजन अखिल भारतीय संत समिति और धर्म समाज के महाराष्ट्र प्रमुख डॉ. अनिकेत शास्त्री महाराज के नेतृत्व में हुआ। इस यज्ञ का उद्देश्य विश्व शांति और भारत की विजय के लिए सामूहिक प्रार्थना करना था। सैकड़ों श्रद्धालुओं और संतों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन किया गया, जिसने पूरे परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
डॉ. अनिकेत शास्त्री महाराज ने इस मौके पर कहा, “यह युद्ध विजय यज्ञ विश्व शांति और भारत की विजय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यज्ञ समाज को एकजुट करने और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने का माध्यम है। हमारी कामना है कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति विश्व में शांति की आधारशिला बने।”
इस आयोजन ने स्पष्ट किया कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा न केवल आत्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि देशहित और मानव कल्याण के लिए भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है।
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के देवास में भी देशभक्ति और अध्यात्म का अनूठा संगम देखने को मिला। यहां के प्रसिद्ध खेड़ापति हनुमान मंदिर में भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों ने देश की सुरक्षा और पाकिस्तान के खिलाफ विजय के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया। 1971 युद्ध और कारगिल जैसे ऐतिहासिक अभियानों में भाग ले चुके पूर्व सैनिकों ने सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ और पूजा-अर्चना के जरिए भारतीय सेना की सफलता के लिए प्रार्थना की।
एक पूर्व सैनिक ने भावुक स्वर में कहा, “हमने अपनी जवानी में देश की सेवा की है। आज भले ही रिटायर हैं, लेकिन दिल अब भी देश के लिए धड़कता है। हमारी प्रार्थना है कि भारत की सेना हर चुनौती में विजयी हो।”
स्थानीय नागरिकों ने भी इस आयोजन में भाग लेकर देशभक्ति की भावना को और मजबूत किया। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिससे वातावरण भक्तिरस में सराबोर हो गया।
नासिक और देवास से उठी ये आवाज़ें बताती हैं कि भारत सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, मंदिरों और आश्रमों से भी अपनी एकजुटता, श्रद्धा और शक्ति का संदेश दुनिया को दे रहा है। धर्म और देशभक्ति का यह अद्वितीय संगम आज के भारत की आत्मा को जीवंत करता है।
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