आयुर्वेद में विशेष रूप से खाली पेट गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है। इसे केवल एक साधारण आदत न मानकर एक तरह का शरीर रीसेट समझा जा सकता है। यह क्रिया हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों (अमा) को बाहर निकालने, पाचन क्रिया को जाग्रत करने और पूरे तंत्र को संतुलित करने का काम करती है।
नींद के दौरान शरीर आराम की अवस्था में होता है और इस समय पाचन प्रक्रिया भी धीमी पड़ जाती है। सुबह उठते ही यदि हम एक गिलास गर्म पानी पीते हैं तो यह हमारे पाचन अग्नि को प्रज्वलित करता है।
गर्म पानी का एक और बड़ा लाभ है, डिटॉक्सिफिकेशन यानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना। आयुर्वेद के अनुसार अमा ही रोगों की जड़ है।
इसके साथ ही, यह आदत शरीर को धीरे-धीरे हाइड्रेट करने का भी काम करती है। रातभर सोने के बाद शरीर हल्की डिहाइड्रेशन की स्थिति में आ जाता है। सीधे ठंडा पानी पीने से शरीर पर झटका पड़ सकता है, जबकि गुनगुना पानी सहजता से अवशोषित होता है और अंगों को संतुलित रूप से तरल प्रदान करता है।
मानसिक दृष्टि से भी दिन की शुरुआत इस छोटे से उपाय से करने पर एक सकारात्मक प्रभाव महसूस होता है। यह क्रिया मन को स्थिर करती है और दिन की व्यस्तताओं के लिए तैयार करती है। कहा जाता है कि सुबह का पहला कर्म ही पूरे दिन की लय तय करता है, इसलिए गर्म पानी का पहला घूंट वास्तव में एक रीसेट बटन की तरह काम करता है।
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