आजकल एसिडिटी की समस्या इतनी आम हो गई है कि लोग इसे मामूली परेशानी समझने लगे हैं। लेकिन अक्सर यही एसिडिटी सीने तक पहुंचकर हार्टबर्न जैसी समस्याओं को जन्म देती है। कई बार लोग इसे दिल की बीमारी समझ बैठते हैं, जबकि असल में यह पेट से शुरू होकर सीने तक फैलती है और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
आयुर्वेद में हार्टबर्न को समझने और उसका उपचार करने के प्रभावी तरीके बताए गए हैं। जब शरीर में अम्ल और पित्त की मात्रा बढ़ जाती है, तो पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और खाने को पचाने में दिक्कत होने लगती है, जिससे सीने में जलन महसूस होती है।
हार्टबर्न के आयुर्वेदिक कारणों में कई बातें शामिल हैं। इसमें खाना खाने के तुरंत बाद घूमना या शारीरिक गतिविधि न करना, ज्यादा तीखी, खट्टी और तैलीय चीजों का सेवन, तनाव और नींद की कमी, अत्यधिक कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन और शारीरिक व्यायाम की कमी प्रमुख हैं। ये सभी आदतें पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं और पेट में अम्ल और पित्त की मात्रा बढ़ाकर हार्टबर्न जैसी समस्याओं को जन्म देती हैं।
हार्टबर्न से राहत पाने के लिए आयुर्वेद में कुछ आसान उपाय सुझाए गए हैं:
- एलोवेरा का जूस – सुबह खाली पेट पीने से पेट में बनने वाला अम्ल कम होता है और एसिडिटी नियंत्रित रहती है।
- सौंफ का पानी – रात को सौंफ और मिश्री का सेवन या सुबह उठकर सौंफ का पानी पीना पेट को ठंडक और पाचन में मदद करता है।
- तुलसी के पत्ते और ठंडा दूध – सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने और ठंडा दूध पीने से हार्टबर्न कम होती है।
- जीवनशैली में योग और हल्की सैर – व्रजासन, बलासन, पवनमुक्तासन जैसी योग मुद्राएं और हल्की सैर पाचन तंत्र को मजबूत करती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार नियमित रूप से ये उपाय अपनाकर न केवल हार्टबर्न को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि पूरे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखा जा सकता है। दिल और पेट की सेहत के लिए ये सरल और प्राकृतिक तरीके अत्यंत प्रभावी हैं।



