दिल्ली में मना विचारोत्सव, साहित्य, सिनेमा और मीडिया पर बोले दिग्गज

"भावों को शब्दों में बांधना मुश्किल कार्य है और बिना शब्दों के केवल कार्टून्स के ज़रिए कह पाना और भी मुश्किल है। मॉलिटिक्स यह मुश्किल कार्य लगातार कर रहा है।"  दिल्ली में में आयोजित वरिष्ठ पत्रकारों और साहित्य से जुड़े लोगों ने वैखरी विचारोत्सव के दौरान मॉलिटिक्स की टून बुक स्पीक अप और कार्टून प्रदर्शनी को खूब सराहा

दिल्ली में मना विचारोत्सव, साहित्य, सिनेमा और मीडिया पर बोले दिग्गज
दिल्ली के सुरजीत भवन में दो दिवसीय विचार उत्सव वैखरी का आयोजन शनिवार को संपन्न हो गया। कार्यक्रम का आयोजन लेखक अशोक कुमार पाण्डेय और वालंटियर्स ने किया था। इस कार्यक्रम के आयोजक मॉलिटिक्स और द क्रेडिबल हिस्ट्री थे। विचार उत्सव में साहित्य, सिनेमा, आलोचना और मीडिया आदि क्षेत्रों के दिग्गज शामिल हुए और  अपनी भावनाये व्यक्त की।
कार्यक्रम के पहले दिन उद्घाटन समारोह के अतिरिक्त अशोक वाजपेयी और पुरुषोत्तम अग्रवाल के बीच चर्चा और काव्य पाठ सत्र का आयोजन किया गया। दूसरे दिन जाति जनगणना, लैंगिक स्वतंत्रता, वर्तमान में सिनेमा, राजनीति और मुश्किल में मीडिया विषयों पर परिचर्चा हुई।

विचार उत्सव के दौरान किताबों, पेंटिंग्स आदि के भी स्टॉल लगाए गए थे। मॉलिटिक्स ने विचार उत्सव के दौरान कार्टून की प्रदर्शनी और कविताओं और कार्टून्स के संकलन स्पीक-अप की प्रदर्शनी लगाई। मॉलिटिक्स की तरफ से नीरज झा और राकेश रंजन विचारोत्सव में शामिल हुए।

मॉलिटिक्स के नीरज ने “मुश्किल में मीडिया” विषय पर परिचर्चा का संचालन किया। इस परिचर्चा में वीडियो क्रिएटर मेडुसा, न्यूजलॉन्ड्री के बसंत, द शुद्र और न्यूजवीक के संस्थापक सुमित चौहान, पत्रकार आलीशान जाफरी और मीडिया विजिल के पत्रकार मयंक सक्सेना शामिल रहे।

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