कैसे शुरू हुई दिवाली पर आतिशबाजी की परंपरा?

बांस से बना था पहला पटाखा

कैसे शुरू हुई दिवाली पर आतिशबाजी की परंपरा?

दिवाली पर सालों से आतिशबाजी करने और पटाखे जलाने की परंपरा देश में रही है। रावण वध और भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में लोग आतिशबाजी करते हैं। इसे नए रिवाज के तौर पर देखा जाता है। वहीं पटाखे जलाने का इतिहास भारत में बहुत पुराना नहीं है। हालांकि लोगों के मन में हमेशा से ही एक सवाल उठता है कि खुशियों में पटाखे कहां से शामिल हो गए? दीवाली पर पटाखे क्यों जलाए जाने लगे? दुनिया में आतिशबाजी कहां से और कैसे आई?

लगभग 2200 साल पहले चीन में बांस के डंडों को पटाखे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इन डंडों को आग में डालने से आवाज निकलती थी। दरअसल चीन के एक रसोइये ने गलती से पोटैशियम नाइट्रेट को आग में डाल दिया था। इससे आग का रंग बदला इसके बाद रसोइए ने आग में कोयले और सल्फर का मिश्रण डाला। इससे रंग बदलने के साथ तेज आवाज भी हुई। इसके बाद से ही चीन में बांस को आग में डालकर उसके फटने की आवाज सुनना शुभ माना जाने लगा और यह एक परंपरा बन गई।

चीन से निकलकर 13वीं और 15वीं शताब्दी में पटाखे यूरोप और अरब समेत दुनिया के कई हिस्सों में आए। वहीं बात भारत की करें तो 1526 में मुगलों के आने के साथ ही देश में पटाखों का इस्तेमाल बढ़ा। पानीपत का पहला युद्ध था, जिसमें बारूद और तोप का इस्तेमाल हुआ। 17वीं और 18वीं शताब्दी में दिल्ली और आगरा में आतिशबाजी की परंपरा बढ़ी। दिवाली पर आतिशबाजी की परंपरा कोटा से शुरू हुई थी, जहां चार दिनों तक दिवाली मनाई जाती है। कहते हैं कि यहां के राजा ने 4 दिनों तक आतिशबाजी करवाई थी। उसक बाद से 20वीं शताब्दी से भारत में पटाखे का चलन बढ़ा और त्योहार और जश्न के माहौल में इसका खूब इस्तेमाल होने लगा।

दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है। दूसरे नंबर पर भारत है। भारत में पटाखों का व्यापार 2600 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। भारत में आतिशबाजी की पहली आधिकारिक फैक्ट्री भी 1940 में ही बनी। हालांकि पटाखों से होने वाला प्रदूषण भी कम नहीं है। इसलिए सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में राजधानी दिल्ली में पटाखों पर बैन लगाया। इसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूरे देश में बैन लगाया। सिर्फ ग्रीन पटाखों को मंजूरी दी गई। 2019 में रात आठ से 10 बजे के बीच दिल्ली में ग्रीन पटाखों को जलाने की छूट दी गई। लेकिन 2020, 2021 और अब 2022 में राजधानी में पटाखे पूरी तरह बैन रहे। दिल्ली में पटाखों से होनेवाले प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वहाँ के लोगों को आतिशबाजी करने पर 6 माह की सजा का प्रावधान दिया हैं।

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