आधुनिक जीवनशैली में जहां तनाव, थकान और शारीरिक जकड़न आम हो गई है, वहीं योगासन एक प्राकृतिक और प्रभावी समाधान बनकर उभरे हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख योगासन है ‘ककासन’, जिसे क्रो पोज या बकासन के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन विशेष रूप से पेट, बाजुओं और कंधों की मजबूती बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक एकाग्रता और संतुलन सुधारने में मदद करता है।
ककासन का नाम संस्कृत शब्द ‘कक’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘कौआ’। इस आसन में शरीर की मुद्रा कौए की तरह दिखाई देती है, जिसमें दोनों हथेलियों पर संतुलन बनाकर घुटनों को ऊपर उठाया जाता है।
कैसे करें ककासन:
योग विशेषज्ञों के अनुसार, ककासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर उकड़ू बैठना चाहिए। इसके बाद दोनों हथेलियों को कंधों की सीध में जमीन पर टिकाना होता है, इस दौरान उंगलियां फैली हुई होनी चाहिए ताकि पकड़ मजबूत बनी रहे। फिर घुटनों को धीरे-धीरे कोहनियों के पास लाना चाहिए और शरीर का वजन संतुलित रूप से हथेलियों पर डालना होता है।
इसके बाद धीरे-धीरे पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं और घुटनों को कोहनियों या ऊपरी बाहों पर टिकाएं। इस स्थिति में नजर सामने की ओर रखें ताकि संतुलन बना रहे और मन भटके नहीं। लगभग 10 से 20 सेकंड तक इस मुद्रा में रहें और गहरी सांस लेते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे शरीर को सामान्य स्थिति में वापस लाएं। नियमित अभ्यास से इस आसन में संतुलन और स्थिरता आती है।
शुरुआत में संतुलन बनाने में कठिनाई हो सकती है, इसलिए नीचे तकिया या गद्दा रखना चाहिए ताकि गिरने की स्थिति में चोट से बचा जा सके। इसे सुबह खाली पेट करना सर्वोत्तम होता है।
क्या हैं ककासन के लाभ:
- ककासन के नियमित अभ्यास से शरीर और मन दोनों को कई लाभ मिलते हैं। आयुष मंत्रालय और योग विशेषज्ञों के अनुसार, यह आसन विशेष रूप से बाहों, कंधों और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे शरीर की ताकत और सहनशक्ति बढ़ती है।
- ककासन करते समय शरीर के मध्य भाग पर दबाव पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है और पाचन क्षमता में सुधार होता है। यह आसन मानसिक रूप से भी बेहद प्रभावी है क्योंकि इसके अभ्यास से एकाग्रता और मानसिक संतुलन बेहतर होता है। रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आने से पूरे शरीर का संतुलन सुधरता है और मुद्रा में भी सुधार होता है।
- साथ ही यह आसन तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। नियमित अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति को पूरे दिन सक्रिय और सकारात्मक बनाए रखता है।
गर्भवती महिलाओं, कलाई या कंधे की चोट से पीड़ित लोगों को यह आसन करने से परहेज करना चाहिए। साथ ही किसी भी नए आसन की शुरुआत योग विशेषज्ञ की सलाह से ही करनी चाहिए। ककासन न सिर्फ शरीर को मजबूती देता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। नियमित अभ्यास से यह जीवनशैली का सकारात्मक हिस्सा बन सकता है, जो तनावमुक्त और ऊर्जावान जीवन की ओर एक मजबूत कदम है।



