मुंबई में मानसून की बारिश के साथ-साथ मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार हफ्तों में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के 4,500 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में भी मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है।
इस बार पिछले साल की तुलना में मरीजों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। मलेरिया के मामले 2,852 से बढ़कर 4,151 पर पहुंच गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण खुले क्षेत्रों में जलजमाव और कचरा प्रबंधन की लापरवाही को बताया जा रहा है। धारावी, कुरला, गोवंडी, मानखुर्द और भायखला जैसे क्षेत्रों में यह स्थिति ज्यादा गंभीर बताई जा रही है।
BMC के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज मच्छर स्थिर पानी में पनपते हैं, और यही संक्रमण के फैलाव की मुख्य वजह है। वहीं डेंगू के मामले भी 966 से बढ़कर 1,160 हो गए हैं, जो करीब 40 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। डेंगू से पीड़ित कई मरीजों को प्लेटलेट काउंट गिरने और अत्यधिक कमजोरी के कारण अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। बांद्रा, अंधेरी, मलाड और कांदिवली जैसे इलाकों में इन मामलों की संख्या अधिक देखी जा रही है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं।
इसी तरह, पिछले दो वर्षों से शांत रही चिकनगुनिया की बीमारी भी दोबारा लौट आई है। अब तक 850 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। डॉक्टरों के अनुसार, चिकनगुनिया के मरीजों को जोड़ों में तेज दर्द, थकान और गठिया जैसी परेशानी होती है। इस बीमारी का कोई विशेष इलाज नहीं है, इसलिए लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता है।
BMC ने नागरिकों से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा है कि यदि किसी को बुखार, कमजोरी या जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही मच्छरों से बचाव के लिए यह सलाह दी गई है कि खुले स्थानों में पानी इकट्ठा न होने दें, पानी के बर्तनों को हमेशा ढक कर रखें, मच्छरदानी या रिपेलेंट का उपयोग करें और बीमारी के किसी भी लक्षण को हल्के में न लें।
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