अध्ययन: कैसे उच्च रक्तचाप चुपचाप कर रहा किडनी को नुकसान? लक्षण दिखने से पहले ही शुरू हो जाती है क्षति!

वियना मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोध में हुआ बड़ा खुलासा, समय से पहले जांच है बचाव की कुंजी

अध्ययन: कैसे उच्च रक्तचाप चुपचाप कर रहा किडनी को नुकसान? लक्षण दिखने से पहले ही शुरू हो जाती है क्षति!

Study: High blood pressure is silently damaging the kidneys, the damage starts even before the symptoms appear!

उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन को अक्सर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है—और अब एक नए अध्ययन ने इस नाम की गंभीरता को और पुख्ता कर दिया है। ऑस्ट्रिया की मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ वियना द्वारा किए गए इस अध्ययन में सामने आया है कि हाई ब्लड प्रेशर क्लीनिकल लक्षण दिखने से पहले ही किडनी को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, और यह असर तब भी देखा गया जब मरीज को डायबिटीज जैसी कोई अन्य स्थिति नहीं थी।

इस शोध को वियना विश्वविद्यालय के रेनर ओबरबाउअर और हाइंज रेगेल ने नेतृत्व दिया, और इसके निष्कर्ष प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल Hypertension में प्रकाशित हुए हैं।

शोधकर्ताओं ने 99 मरीजों की किडनी टिशू का विश्लेषण किया। इनमें से कुछ मरीजों को हाई ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज थी, जबकि कुछ पूरी तरह स्वस्थ थे। सभी टिशू सैंपल ट्यूमर नेफ्रेक्टॉमी के दौरान प्राप्त किए गए थे—एक सर्जरी जिसमें किडनी का आंशिक या पूर्ण हिस्सा ट्यूमर के इलाज के लिए निकाला जाता है।

शोध में पाया गया कि जिन मरीजों को केवल उच्च रक्तचाप था, उनकी किडनी की पोडोसाइट्स (ग्लोमेरुली में मौजूद विशेष प्रकार की कोशिकाएं जो फिल्टर का काम करती हैं) में असामान्यता दिखी। इनमें कोशिकाओं का घनत्व कम और सेल न्युक्लियस का आकार बड़ा पाया गया। ये बदलाव बिना डायबिटीज के भी पाए गए, जो इस बात का संकेत हैं कि उच्च रक्तचाप अकेले ही किडनी की संरचना को प्रभावित करने में सक्षम है।

इस शोध में विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया। डीप लर्निंग आधारित इमेज एनालिसिस के जरिए डिजिटल टिशू स्लाइड्स का विश्लेषण किया गया, जिससे पोडोसाइट्स और ग्लोमेरुली की संरचना का सटीक अवलोकन किया जा सका।

शोध के पहले लेखक क्रिस्टोफर पासचेन के अनुसार, ये सूक्ष्म बदलाव किडनी फेल्योर की शुरुआत का पहला संकेत हो सकते हैं। और चूंकि ये बदलाव बहुत पहले शुरू हो जाते हैं, जब तक क्लीनिकल लक्षण दिखें तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है। डॉ. ओबरबाउअर कहते हैं, “अगर इन बदलावों को जल्दी पहचान लिया जाए, तो किडनी डैमेज को धीमा किया जा सकता है और लंबी अवधि में रोगियों को बचाया जा सकता है।”

इस अध्ययन ने एक बार फिर इस तथ्य पर जोर दिया है कि हाई ब्लड प्रेशर को हल्के में लेना घातक हो सकता है। नियमित स्वास्थ्य जांच, खासकर ब्लड प्रेशर और किडनी फंक्शन की स्क्रीनिंग, आज के समय में जीवनरक्षक साबित हो सकती है। क्योंकि किडनी रोग एक बार गंभीर रूप लेने लगे, तो इलाज की गुंजाइश सीमित हो जाती है। इसलिए बेहतर यही है कि हम अपने शरीर की चेतावनी को पहले ही पहचानें—और समय रहते कदम उठाएं।

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