अक्सर हम छोटी-छोटी प्राकृतिक चीजों की अहमियत को कम आंकते हैं। इनमें से एक है तिल, जो खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह आयुर्वेद और विज्ञान दोनों के मुताबिक शरीर के लिए कई तरह से लाभकारी है। यह शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है, साथ ही बीमारियों से बचाव और शरीर को मजबूत बनाने में भी मददगार है।
आयुर्वेद के अनुसार, तिल की तासीर गर्म होती है। सर्दियों में इसका सेवन करने से शरीर गर्म रहता है और ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। तिल के नियमित सेवन से शरीर में गर्मी बनी रहती है, जिससे थकान और कमजोरी कम होती है। आयुर्वेद में इसे ‘सर्वदोष हारा’ भी कहा गया है, क्योंकि यह वात और कफ दोनों को संतुलित करता है, जो शरीर में ठंडक, जोड़ों में दर्द और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
विज्ञान के अनुसार, तिल में एंटीऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को रोकते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को स्वस्थ और जवान बनाए रखते हैं। नियमित सेवन से त्वचा पर झुर्रियां कम होती हैं, रंग निखरता है, और त्वचा की चमक बढ़ती है। इसके साथ ही, तिल में मौजूद सेसामोलिन और सेसामिन जैसे तत्व शरीर में सूजन को कम करते हैं और दिल की सेहत को भी बनाए रखते हैं।
तिल में अनसैचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इससे दिल स्वस्थ बना रहता है और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है। इसका नियमित सेवन दिल की बीमारियों, एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है।
तिल ऊर्जा का भी अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम शरीर को ताकत देते हैं। खासकर महिलाओं और बुजुर्गों के लिए तिल हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। आयरन एनीमिया को रोकने में भी लाभकारी है। साथ ही, तिल का सेवन पाचन को सुधारता है और कब्ज जैसी समस्या को दूर रखता है।
इसके अलावा, तिल का प्रयोग कुछ बीमारियों में राहत देने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में माना जाता है कि तिल का तेल जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। वैज्ञानिक रिसर्च में भी इसे सूजन कम करने और शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत करने वाला बताया गया है।
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