12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में कुल 260 लोगों की जान गई, जिनमें 241 यात्री और क्रू शामिल थे, जबकि 19 मौतें जमीन पर हुईं। विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से केवल एक व्यक्ति ही जीवित बच सका। यह भारत की हालिया विमानन इतिहास की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक बन गई है। अब इस दुर्घटना पर एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अपनी 15-पृष्ठीय प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, विमान ने रनवे से उठान भरते ही महज कुछ सेकंड में दोनों इंजन पूरी तरह बंद हो गए। जाँच में पता चला कि इंजन फ्यूल कंट्रोल स्विच — जो आमतौर पर ‘RUN’ की स्थिति में रहते हैं — दोनों को क्रमशः एक-एक सेकंड के अंतराल में ‘CUTOFF’ कर दिया गया। इससे पूरी तरह पावर लॉस हो गया और विमान तेजी से नीचे गिरने लगा। हादसे के समय फ्लाइट मात्र 32 सेकंड तक ही हवा में रही और रनवे से लगभग 0.9 नॉटिकल मील की दूरी पर एक हॉस्टल भवन से टकरा गई।
इस हादसे में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से सामने आया, जहां एक पायलट ने दूसरे से पूछा — “Why did you cut off?” और जवाब मिला — “I didn’t.” यह संवाद न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि या तो वहां मानवीय भ्रम था, या फिर फ्यूल स्विच खुद-ब-खुद मूव हुए, जो तकनीकी दृष्टि से लगभग असंभव माना जाता है। ये स्विच विशेष सुरक्षा संरचना के साथ आते हैं — उनके दोनों ओर ब्रैकेट होते हैं, और ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ या इसके विपरीत स्थानांतरित करने के लिए स्विच को उठाकर मोड़ना पड़ता है। इनका दुर्घटनावश शिफ्ट हो जाना बेहद दुर्लभ है।
इंजन पावर लॉस के साथ ही विमान का इमरजेंसी सिस्टम — RAM Air Turbine (RAT) — सक्रिय हो गया, जो सीमित हाइड्रोलिक पावर देता है। इसे घटना के CCTV फुटेज से भी पुष्टि मिली। पायलटों ने दोनों इंजनों को दोबारा शुरू करने का प्रयास किया। रिपोर्ट बताती है कि इंजन-1 में आंशिक रिकवरी देखी गई, लेकिन इंजन-2 पूरी तरह फेल रहा। दुर्भाग्यवश, विमान की ऊँचाई इतनी कम थी कि इंजन रिकवरी पावर नहीं दे सके और विमान गिर गया।
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के अनुसार, इंजन की गति का सूचक N2 RPM मिनिमम आइडल लेवल से भी नीचे चला गया था। वहीं, थ्रस्ट लीवर क्रैश के समय ‘idle’ पर पाए गए, जबकि डेटा में टेकऑफ थ्रस्ट इंगेज दिखाया गया था। इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः इंजन कंट्रोल सिस्टम में कोई डिस्कनेक्ट या फॉल्ट था जिसने वास्तविक लीवर पोजिशन और इंजन प्रतिक्रिया के बीच तालमेल बिगाड़ दिया।
इस फ्लाइट के फ्लाइंग पायलट को-पायलट क्लाइव कुंदर थे, जिनके पास 1,100 घंटे का अनुभव था। पायलट-इन-कमांड सुमीत सबरवाल थे, जो मॉनिटरिंग पोजीशन में थे और जिनके पास Boeing 787 पर 8,600 घंटे से अधिक का अनुभव था। रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनों पायलटों को पर्याप्त विश्राम मिला था, वे चिकित्सकीय रूप से फिट थे, और उनके लाइसेंस व योग्यता पूरी तरह वैध और अपडेटेड थे।
जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विमान की टेकऑफ स्थिति सामान्य थी। फ्लैप पोजीशन 5 डिग्री पर थी, लैंडिंग गियर नीचे था, जो कि मानक टेकऑफ कन्फ़िगरेशन है। मौसम की स्थिति भी पूरी तरह अनुकूल थी: आकाश साफ़, दृश्यता अच्छी और हवा हल्की थी। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि कोई ‘बर्ड हिट’ की संभावना नहीं थी और विमान रनवे पार करने से पहले ही ऊंचाई खो चुका था।
ईंधन गुणवत्ता को लेकर AAIB ने विमान से बचे हुए सीमित फ्यूल और एयरपोर्ट पर फ्यूलिंग बाउज़र से सैंपल लेकर जांच की, जो पूरी तरह संतोषजनक पाई गई। फ्यूल में किसी प्रकार की मिलावट या खराब गुणवत्ता का कोई प्रमाण नहीं मिला। रिपोर्ट यह भी उल्लेख करती है कि दोनों इंजन के फ्यूल स्विच कुछ सेकंड के लिए ‘CUTOFF’ में रहने के बाद दोबारा ‘RUN’ में शिफ्ट किए गए थे — यह पायलटों द्वारा इंजन रीस्टार्ट करने का प्रयास था। लेकिन बहुत कम ऊंचाई और समय के चलते यह प्रयास सफल नहीं हो पाया।
प्रारंभिक रिपोर्ट में एक और अहम पहलू सामने आया — अमेरिकी एविएशन रेगुलेटर FAA ने 2018 में एक SAIB (Special Airworthiness Information Bulletin) जारी किया था, जिसमें फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग फीचर में संभावित गड़बड़ी की चेतावनी दी गई थी। यह सलाह ‘अनिवार्य’ नहीं थी, इसलिए एयर इंडिया ने इस निरीक्षण को नजरअंदाज किया।
विमान के मेंटेनेंस रिकॉर्ड के अनुसार, थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल, जिसमें फ्यूल स्विच भी शामिल होते हैं उन्हें 2019 और 2023 में बदला गया था। हालांकि, इन बदलावों का कारण फ्यूल स्विच से संबंधित नहीं था और 2023 के बाद से इस संबंध में कोई तकनीकी शिकायत भी दर्ज नहीं हुई।
AAIB रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान अपने वज़न और बैलेंस लिमिट्स के भीतर था और उसमें कोई ‘खतरनाक सामग्री’ (Dangerous Goods) मौजूद नहीं थी। प्रारंभिक कयासों के विपरीत, टेकऑफ के दौरान फ्लैप की पोजीशन बिल्कुल मानक स्थिति में थी और विमान को पर्याप्त लिफ्ट मिलने में कोई तकनीकी बाधा नहीं थी।
AAIB ने बताया कि दुर्घटना स्थल का निरीक्षण पूरा कर लिया गया है। ड्रोन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी से सबूत जुटाए गए हैं। विमान का मलबा सुरक्षित क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है और दोनों इंजनों को अहमदाबाद एयरपोर्ट के एक हैंगर में क्वारंटीन कर दिया गया है। ब्लैक बॉक्स से प्राप्त डेटा का विश्लेषण जारी है। चश्मदीदों और एकमात्र जीवित यात्री के बयान दर्ज किए गए हैं। साथ ही अन्य तकनीकी साक्ष्यों और रिकॉर्ड्स को खंगाला जा रहा है।
AAIB की यह रिपोर्ट केवल एक प्रारंभिक विश्लेषण है, जो जांच के शुरुआती निष्कर्षों पर आधारित है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अभी Boeing 787-8 या GE GEnx-1B इंजन ऑपरेटर्स के लिए कोई सिफारिश जारी नहीं की गई है, और जांच टीम सभी संभावित पहलुओं की आगे भी समीक्षा करती रहेगी। अंतिम रिपोर्ट अगले एक वर्ष के भीतर जारी होने की संभावना है, जो इस भयावह हादसे के कारणों की और स्पष्ट तस्वीर दे सकेगी।
AI171 का यह हादसा अनेक परतों में उलझा हुआ है — मानवीय भ्रम, संभावित तकनीकी खामी, और पूर्व चेतावनी की अनदेखी — सभी इसकी जांच को और पेचीदा बना देते हैं। शुरुआती रिपोर्ट ने भले ही कुछ तकनीकी पहलुओं की ओर इशारा किया हो, लेकिन यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि दुर्घटना का मूल कारण क्या था। जब तक अंतिम रिपोर्ट सामने नहीं आती, तब तक यह त्रासदी एक अनुत्तरित रहस्य बनी रहेगी।
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