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Friday, December 5, 2025
होमन्यूज़ अपडेटजांच के घेरे में अल-फलाह विश्वविद्यालय का चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी!

जांच के घेरे में अल-फलाह विश्वविद्यालय का चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी!

अतीत में भी घोटाले के आरोपों से रहा है घिरा

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दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवम्बर को हुए बम धमाके के बाद अब जांच एजेंसियों की नजर फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय और उसके संस्थापक चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी पर टिकी है। एनआईए और दिल्ली पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि इस विश्वविद्यालय के कई डॉक्टर कश्मीरी मूल के हैं। इसी के साथ, जवाद सिद्दीकी का विवादों और आपराधिक मामलों से भरा अतीत एक बार फिर चर्चा में है।

अल-फलाह मेडिकल कॉलेज की स्थापना वर्ष 2019 में हुई थी। मात्र छह वर्षों में यह एक बड़े परिसर में तब्दील हो गया, जहां सैकड़ों छात्र-छात्राएं डॉक्टर बनने का सपना लेकर आते थे। परंतु लाल किला ब्लास्ट ने इस संस्थान की साख पर ऐसा दाग लगाया है जिसे मिटाना मुश्किल दिख रहा है।

अल-फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी कभी जामिया मिलिया इस्लामिया में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्राध्यापक थे, अब दर्जनों व्यवसायों और संस्थानों के मालिक हैं। जवाद ने 1993 में जामिया में अध्यापन शुरू किया था, लेकिन उसकी महत्वाकांक्षा कक्षा की चार दीवारों से कहीं आगे की थी।

जामिया में काम करते हुए जवाद ने अपने भाई सऊद के साथ ‘अल-फलाह इन्वेस्टमेंट्स’ नामक कंपनी बनाई। उसने कई सहयोगियों से भारी मुनाफे के वादे कर निवेश करवाया, पर जल्द ही उन पर धोखाधड़ी और गबन के आरोप लगने लगे। 2000 में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में दर्ज एफआईआर (नं. 43/2000) के आधार पर आर्थिक अपराध शाखा ने जांच की, और जवाद तथा सऊद को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मार्च 2003 में उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि,“निवेशकों के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए हैं, और धनराशि को निजी खातों में स्थानांतरित कर दुरुपयोग किया गया है।” जमानत उन्हें 2004 में मिली, और 2005 में पटियाला कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया, लेकिन शर्त यह थी कि वे निवेशकों की रकम वापस करें।

रिपोर्ट के अनुसार, अल-फलाह मेडिकल कॉलेज ने शुरुआती दौर में अच्छी शुरुआत की थी, परंतु समय के साथ वहां का माहौल बदल गया। कॉलेज ने कम वेतन पर कश्मीर से बड़ी संख्या में डॉक्टरों को नियुक्त किया। कैंपस में धीरे-धीरे धार्मिक और कट्टरता का माहौल बनने लगा। जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है कि दिल्ली ब्लास्ट केस में संदिग्ध गिरफ्तार डॉक्टर डॉ. शाहीना अपने सहयोगियों और छात्रों को “ज़्यादा धार्मिक बनने” और “हिजाब-बुरका पहनने” के लिए प्रेरित करती थीं।

कोविड महामारी के दौरान कॉलेज की नर्सों ने आरोप लगाया था कि जीवन बीमा की मांग करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। वहीं, 2023 में मेडिकल इंटर्न्स ने अपर्याप्त सुविधाओं और स्टाइपेंड न मिलने के विरोध में प्रदर्शन किया, जिसके बाद कई को निलंबित कर दिया गया। जब उनके कॉलेज से जुड़े कई डॉक्टर आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तार हो चुके हैं, अब जवाद के साम्राज्य पर संकट मंडरा रहा है।

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