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Friday, April 25, 2025
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रिपोर्ट: एंटी-बायोटिक के असर न करने से 30 लाख बच्चों की मौत !

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एंटीबायोटिक दवाओं के असरहीन हो जाने की वजह से वर्ष 2022 में विश्वभर में 30 लाख से अधिक बच्चों की मौत हो गई। यह खुलासा वियना में आयोजित ‘ESMID ग्लोबल 2025’ सम्मेलन में प्रस्तुत एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) यानी दवाओं के प्रति बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता पर वैश्विक स्तर पर जल्द और ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति एक महामारी का रूप ले सकती है।

अध्ययन में बताया गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका AMR से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहे। केवल 2022 में दक्षिण-पूर्व एशिया में 7.5 लाख और अफ्रीका में 6.6 लाख बच्चों की जान उन संक्रमणों से गई, जिन पर सामान्य एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं कर पाईं।

विशेषज्ञों के अनुसार, एएमआर तब उत्पन्न होती है जब बैक्टीरिया सामान्य एंटीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। बच्चों में यह स्थिति और भी घातक होती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और उनके लिए प्रभावी इलाज सीमित होता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2021 के बीच एंटीबायोटिक दवाओं की ‘वॉच’ और ‘रिज़र्व’ श्रेणियों का उपयोग दक्षिण-पूर्व एशिया में 160% और अफ्रीका में 126% तक बढ़ा। ‘रिज़र्व’ श्रेणी की दवाएं सामान्यत: गंभीर मामलों के लिए रखी जाती हैं, लेकिन कई देशों में इनका बिना निगरानी और अनुचित रूप से इस्तेमाल किया गया।

अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर जोसेफ हारवेल ने कहा, “इन दवाओं का अत्यधिक उपयोग, विशेषकर जब वह वैज्ञानिक निगरानी के बिना हो, तो यह भविष्य के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। अगर बैक्टीरिया इन दवाओं पर भी असर करना बंद कर दें, तो हमारे पास इलाज के सीमित विकल्प बचेंगे।”

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि दुनिया भर में एएमआर से हुई 30 लाख बच्चों की मौतों में से करीब 20 लाख मौतें सीधे तौर पर वॉच और रिज़र्व श्रेणी की दवाओं के अनुचित इस्तेमाल से जुड़ी थीं। वहीं, ‘एक्सेस’ श्रेणी की दवाएं जो आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती हैं, उनका उपयोग अपेक्षाकृत कम हुआ।

विशेषज्ञों का मानना है कि विकासशील देशों में अस्पतालों की भीड़, सफाई की खराब व्यवस्था, और संक्रमण नियंत्रण की कमजोर रणनीतियों ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, दवाओं के वितरण और उपयोग पर नियंत्रण की भी गंभीर कमी देखी गई।

रिपोर्ट में वैश्विक नेताओं और स्वास्थ्य संगठनों से अपील की गई है कि एएमआर के खतरे से निपटने के लिए तत्काल समन्वित वैश्विक रणनीति तैयार की जाए। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर हो जाने की यह समस्या वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को एक नए संकट की ओर धकेल सकती है।

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