जब दुनिया भर में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की गूंज सुनाई दे रही हो, तब अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस का एक तीखा जवाब सबके लिए एक कड़ा संदेश बन गया। शुक्रवार को प्रेस वार्ता के दौरान एक पाकिस्तानी पत्रकार ने जब भारत-पाक सीमा तनाव को लेकर सवाल उठाया, तो टैमी ब्रूस ने अपनी दृढ़ता से न केवल सवाल को दरकिनार किया, बल्कि अमेरिका के रुख को भी साफ-साफ दोहराया।
प्रवक्ता ने कहा, “हम इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं करने वाले हैं, हम किसी दूसरे मुद्दे पर आपसे बात करने के लिए आएंगे। इस स्थिति पर तो कुछ नहीं बोलेंगे। राष्ट्रपति और सेकरेट्री ने पहले ही काफी कुछ कह दिया है, हमारा रुख स्पष्ट है।” टैमी ब्रूस के इस बयान ने उस पत्रकार की बोलती बंद कर दी और यह भी स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका आतंकवाद के मुद्दे पर किसी प्रकार का ‘ग्रे एरिया’ नहीं अपनाएगा।
दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। यह इलाका जिसे “मिनी स्विट्जरलैंड” कहा जाता है, अब एक खूनी हमले की याद दिला रहा है। इस बर्बरता के बाद अमेरिका ने न केवल घटना की निंदा की, बल्कि मृतकों के लिए प्रार्थना और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग भी की।
ब्रूस ने दोहराया, “जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप और सचिव रुबियो ने स्पष्ट किया है, अमेरिका भारत के साथ खड़ा है, आतंकवाद के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है। हम मारे गए लोगों के जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं और घायलों के ठीक होने के लिए प्रार्थना करते हैं और इस जघन्य कृत्य के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान करते हैं।”
इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने अमेरिका के समर्थन के लिए धन्यवाद कहते हुए दृढ़ लहजे में कहा कि भारत इस “कायरतापूर्ण और जघन्य आतंकवादी हमले” के अपराधियों को सजा दिलाकर रहेगा।
मधुबनी की जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने और भी तीखा रुख अपनाते हुए ऐलान किया, “भारत हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा, उनका पता लगाएगा और उन्हें सजा देगा। हम उनका पीछा दुनिया के आखिरी छोर तक करेंगे। आतंकवाद भारत का मनोबल नहीं तोड़ पाएगा।”
भारत ने अपने पहले जवाबी कदमों में सिंधु जल संधि को निलंबित किया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए और वहां रह रहे भारतीयों से जल्द स्वदेश लौटने की अपील की।
इस पूरे घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब न केवल कूटनीतिक, बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर भी जवाब देने को तैयार है। और जब अमेरिका जैसा देश खुलकर भारत के साथ खड़ा हो, तो संदेश केवल आतंकियों के लिए नहीं, बल्कि उनके ‘हमदर्दों’ के लिए भी है — यह दुनिया अब खामोश नहीं रहने वाली।
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