गुजरात की तरह महाराष्ट्र के स्कूली पाठ्यक्रम में भी भगवद गीता को शामिल करने की मांग हो रही है। मंगलवार को मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक मंगल प्रभात लोढा ने विधानसभा में यह मांग रखी। उन्होंने कहा कि भगवद् गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि ”जीवन का सार” है। इसलिए इसे देश के कई राज्यों ने इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया है। श्री लोढ़ा ने कहा कि, शिक्षा मंत्री ने सोमवार को सदन में कहा था कि, सरकार शिक्षण व्यवस्था के अंतर्गत कुछ अध्याय में परिवर्तन करने जा रही है। क्या श्रीमद्भगवद्गीता को शिक्षा व्यवस्था में शामिल किया जाएगा ? उन्होंने कहा कि भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि इसमें जीवन का सार है। भारत भर में श्रीमद्भगवद्गीता को शिक्षा में शामिल किया जा रहा है।
गौरतलब है कि कई राज्य सरकारें स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने के पक्ष में हैं। गुजरात सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से राज्य में कक्षा छठी से बारहवीं के लिए भगवद्गीता स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भगवद्गीता को नैतिक मूल्य प्रदान करने वाला ग्रंथ बताते हुए सकारात्मक संकेत दिए हैं। बता दें कि गीता पर दुनियाभर की भाषाओं में सबसे ज्यादा भाष्य, टीका, व्याख्या, टिप्पणी, निबंध, शोध ग्रंथ आदि लिखे गए हैं।
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