इसके पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने औरंगाबाद शहर के जल संकट का उल्लेख किया था। मंगलवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के सामने प्रधानमंत्री से जल संकट का समाधान करने का आग्रह कर दिया। इस पर दशकों से औरंगाबाद मनपा में सत्तारूढ़ रही शिवसेना नाराज हो गई है।
प्रधानमंत्री ने राजभवन में जल भूषण भवन और क्रांतिकारियों की गैलरी का उद्घाटन किया था। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस समेत कई मंत्री और वरिष्ठ नेता मौजूद थे। कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि मंच पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बैठे हैं। मैं एक दिन औरंगाबाद गया था। रात को मैं वहां पर रुका था। वहां पर लोगों ने मुझसे कहा कि शहर में पांच से सात दिनों बाद पानी मिलता है।
20 सालों से अधूरी हैं सिंचाई परियोजनाएं: राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र में 80 ऐसे सिंचाई परियोजनाएं हैं जो 30 अथवा 20 सालों से पूरा नहीं हो पाई हैं। कुछ सिंचाई परियोजनाएं 40 साल पुरानी हैं लेकिन योजनाओं का काम आधा-अधूरा हुआ है। इसलिए उसका लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। इसी बीच राज्यपाल ने कहा कि फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी से करार कर नागपुर विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को सैनिक यंत्रों के निर्माण की शिक्षा दी जा रही है।
नाराज हुई शिवसेना: दूसरी ओर औरंगाबाद के शिवसेना विधायक अंबादास दानवे ने कहा कि राज्यपाल औरंगाबाद शहर के जल संकट को लेकर अनभिज्ञ नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने औरंगाबाद में जलापूर्ति सेवा सुचारू से करने के लिए तीन आईएएस अफसरों की नियुक्ति की है। दानवे ने कहा कि जल संकट की समस्या धुलिया और सोलापुर मनपा में भी है। जहां पर भाजपा की सत्ता है लेकिन राज्यपाल ने भाजपा की सत्ता वाले शहरों का उल्लेख न करके केवल औरंगाबाद का नाम लेकर राजनीति करने की कोशिश की है।
गेहूं के बाद कुवैत ने भारत से मांगा गाय का गोबर, इन राज्यों से भेजा जा रहा
योगी सरकार का गिफ्ट: छह हजार में फेमिली को कर सकेंगे सम्पत्ति रजिस्ट्री