कई बच्चों के अपहरण और हत्या के लिए दोषी सीमा गावित और रेनुका शिंदे की फर्लो (छुट्टी) याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी । 2023 में, सजा के क्रियान्वयन में देरी देखते हुए उच्च न्यायालय ने उनकी मृत्यु दंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बनाए रखा।
न्यायमूर्ति अजेय गडकरी और न्यायमूर्ति रंजीतसिंह राजा भोंसले की खंडपीठ ने फर्लो याचिका खारिज करते हुए कहा कि मृत्यु दंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलते समय स्पष्ट किया गया था कि उन्हें बिना रियायत के जीवन भर की सजा भुगतनी होगी। सीमा और रेनुका की मां सहित परिवार के अन्य सदस्य 2001 में 13 बच्चों के अपहरण और नौ की हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा पाए थे। याचिका के दौरान उसकी मां का निधन हो गया।
सीमा और रेनुका ने जनवरी 2023 में 28 दिन की फर्लो के लिए आवेदन किया था, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों और भरोसेमंद गारंटर की कमी का हवाला देते हुए नकारात्मक रिपोर्ट सौंपी। बाद में अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस और जेल महानिरीक्षक ने भी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद दोनों बहनों ने अधिवक्ता अनिकेत वागळ के माध्यम से हाई कोर्ट का रुख किया।
राज्य ने हलफनामे में उनके अपराधों की गंभीरता, सुरक्षा संबंधी चिंता और जेल में उनके पिछले कुप्रवृत्तियों का हवाला देते हुए फर्लो खारिज करने की सिफारिश की।
यह भी पढ़ें:
खालिस्तानी आतंकी इंदरजीत सिंह गोसल को जमानत, बाहर आते ही अजीत डोभाल को धमकी!
फार्मा पर 100% अमेरिकी टैरिफ से भारत के निर्यात पर असर नहीं, एक्सपर्ट्स का दावा!
बिहार की महिलाएं बनीं बदलाव की पहचान, पीएम मोदी संग साझा की संघर्ष और सफलता की कहानियां!



