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Friday, September 20, 2024
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तो ओबीसी आरक्षण में हो सकती है परेशानी

_ फडणवीस के सुर में सुर मिला रहा सत्तापक्ष

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ओबीसी आरक्षण के लिए हो रहे इंपिरिकल डेटा जुटाने में हो रही लापरवाही का मामला विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस द्वारा उठाए जाने के बाद अब सत्ता पक्ष भी मान रहा है की विपक्ष का आरोप सही है। इसको लेकर अब खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है।

ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए एकत्रित किए जा रहे इंपीरिकल डेटा के संकलन में हो रही गलतियों को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया था कि सरनेम के आधार पर कौन ओबीसी है और कौन नहीं? यह तय किया जा रहा है। यह एक बड़ी गलती है। महाविकास आघाड़ी के कई नेता भी ऐसी ही राय रख चुके हैं। राकांपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा कि इंपीरिकल डेटा एकत्रित करने में यदि गलती होती है तो इसका विपरीत असर ओबीसी पर हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि जानकारी संकलित करते वक्त सावधानी रखी जाए।

भुजबल ने कहा कि राज्य में ओबीसी सर्वेक्षण का काम शुरू है। इस सर्वेक्षण के तहत राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में मतदाता सूचियों और केवल सरनेम के आधार पर ओबीसी गणना शुरू है। हालांकि अनेक समाज में एक जैसे सरनेम होते हैं, ऐसे में विशेष सरनेम का व्यक्ति ही उस समाज का होगा, यह तर्क लगाना ठीक नहीं है। राज्य में पवार, जाधव, गायकवाड, शेलार, होलकर, काले जैसे सरनेम हैं, जो अलग-अलग जातियों में मिलते हैं। ओबीसी की जानकारी संकलित करने सरनेम को आधार बनाना गलत है। इससे ओबीसी की गलत जनसंख्या सामने आएगी।

भुजबल ने कहा कि मुझे पता चला है कि ओबीसी डेटा संकलित करने के लिए सॉफ्टवेयर कंपनी को काम दिया गया है और वह गलत डेटा संकलित कर रही है। नाशिक, पुणे, मुंबई जैसे शहरों में ओबीसी की संख्या बेहद कम दिखाई जा रही है। ओबीसी प्रवर्ग में विमुक्त जाति, भटक्या जनजाति, विशेष पिछड़ा वर्ग भी शामिल है। अनेक मुस्लिम भी ओबीसी में आते हैं। झोपड़पट्टियों में रहने वाले तकरीबन सभी नागरिक पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के होते हैं।

भुजबल ने अपने पत्र में कहा कि मंडल आयोग सहित विधि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में ओबीसी की जनसंख्या 54 प्रतिशत है। हालांकि समर्पित आयोग के मार्फत एकत्रित होने वाली जानकारी को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों में आ रही खबरों का अवलोकन किया जाए तो ओबीसी की जनसंख्या बेहद कम दिख रही है। केवल सरनेम के आधार पर ओबीसी की संख्या का अनुमान किया जाने से यह संख्या घटती दिख रही है। भुजबल ने कहा कि गलत जानकारी की वजह से ओबीसी के सही प्रतिशत का खुलासा नहीं हो पाया पाएगा।

गलत जानकारी के आधार पर एकत्रित इंपीरिकल डेटा की वजह से ओबीसी पर अन्याय होगा और इससे स्थाई रूप से क्षति होगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि समर्पित आयोग के मार्फत ओबीसी की सही जानकारी संकलित होने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए। ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए एकत्रित किए जा रहे इंपीरिकल डेटा के संकलन में हो रही गलतियों को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि सरनेम के आधार पर कौन ओबीसी है और कौन नहीं? यह तय किया जा रहा है। यह एक बड़ी गलती है। महाविकास आघाड़ी के कई नेता भी ऐसी ही राय रख चुके हैं। राकांपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा कि इंपीरिकल डेटा एकत्रित करने में यदि गलती होती है तो इसका विपरीत असर ओबीसी पर हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि जानकारी संकलित करते वक्त सावधानी रखी जाए।

भुजबल ने कहा कि राज्य में ओबीसी सर्वेक्षण का काम शुरू है। इस सर्वेक्षण के तहत राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में मतदाता सूचियों और केवल सरनेम के आधार पर ओबीसी गणना शुरू है। हालांकि अनेक समाज में एक जैसे सरनेम होते हैं, ऐसे में विशेष सरनेम का व्यक्ति ही उस समाज का होगा, यह तर्क लगाना ठीक नहीं है। राज्य में पवार, जाधव, गायकवाड, शेलार, होलकर, काले जैसे सरनेम हैं, जो अलग-अलग जातियों में मिलते हैं। ओबीसी की जानकारी संकलित करने सरनेम को आधार बनाना गलत है। इससे ओबीसी की गलत जनसंख्या सामने आएगी। भुजबल ने कहा कि मुझे पता चला है कि ओबीसी डेटा संकलित करने के लिए सॉफ्टवेयर कंपनी को काम दिया गया है और वह गलत डेटा संकलित कर रही है। नाशिक, पुणे, मुंबई जैसे शहरों में ओबीसी की संख्या बेहद कम दिखाई जा रही है। ओबीसी प्रवर्ग में विमुक्त जाति, भटक्या जनजाति, विशेष पिछड़ा वर्ग भी शामिल है।

अनेक मुस्लिम भी ओबीसी में आते हैं। झोपड़पट्टियों में रहने वाले तकरीबन सभी नागरिक पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के होते हैं। भुजबल ने अपने पत्र में कहा कि मंडल आयोग सहित विधि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में ओबीसी की जनसंख्या 54 प्रतिशत है। हालांकि समर्पित आयोग के मार्फत एकत्रित होने वाली जानकारी को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों में आ रही खबरों का अवलोकन किया जाए तो ओबीसी की जनसंख्या बेहद कम दिख रही है।

केवल सरनेम के आधार पर ओबीसी की संख्या का अनुमान किया जाने से यह संख्या घटती दिख रही है। भुजबल ने कहा कि गलत जानकारी की वजह से ओबीसी के सही प्रतिशत का खुलासा नहीं हो पाया पाएगा। गलत जानकारी के आधार पर एकत्रित इंपीरिकल डेटा की वजह से ओबीसी पर अन्याय होगा और इससे स्थाई रूप से क्षति होगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि समर्पित आयोग के मार्फत ओबीसी की सही जानकारी संकलित होने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए।

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