ईसाई समुदाय की ओर से अन्याय के विरोध में शुक्रवार को सांगली कलेक्टर कार्यालय पर मौन मार्च निकाला गया और मांग की गई कि जानबूझकर ईसाई समाज को जांच कर अशांत करने का प्रयास करने वाली शक्तियों को समाप्त किया जाए| कुछ चर्चों द्वारा बार-बार ईसाई समुदाय की भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया जा रहा है और संविधान के अनुसार सभी को धार्मिक स्वतंत्रता होने पर ईसाई समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
वही, डॉ. संजय गेले के मामले में कुछ समाज द्वारा मानहानि की स्थिति अपनाई जा रही है। समाज के माध्यम से नफरत फैलाई जा रही है और संविधान ने प्रत्येक व्यक्ति को धर्म का पालन करने और प्रार्थना करने का मौलिक अधिकार दिया है।
हालांकि पिछले कुछ दिनों में ईसाई पादरी पर ऐसा करने की दर बढ़ी है और एक तरह से समाज को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है| ईसाई समुदाय शांतिपूर्ण होने के बावजूद इस तरह की हरकतें अक्सर हो रही हैं। पूजा स्थल को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसे नष्ट करने की धमकी दी जा रही है|
कुछ मामलों में झूठे मुकदमे भी दर्ज कराए जा रहे हैं। मार्च के आयोजक आकाश तिवड़े ने समाज की राय व्यक्त करते हुए कहा कि अटपदी मामले की निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए| मार्च की शुरुआत विश्राम बाग के क्रांतिवीर नाना पाटिल चौक से की गई।
मार्च में सांगली-मिर्जे के साथ तासगांव, अटपड़ी, खानापुर के हजारों समुदाय के लोगों ने भाग लिया। मार्च की ओर से कलेक्टर को प्रार्थना पत्र दिया गया। इस मार्च के चलते सांगली मिराज मार्ग पर एकतरफा यातायात जारी रहा।
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