यूँ झोंक दिए बेस्ट ने 30 करोड़ डिजिटल टिकटिंग सिस्टम में

यूँ झोंक दिए बेस्ट ने 30 करोड़ डिजिटल टिकटिंग सिस्टम में

file photo

मुंबई। बेस्ट के अत्याधुनिक डिजिटल टिकटिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए आमंत्रित निविदा प्रक्रिया में पक्षपात होने का संगीन आरोप लगा है। आवश्यक शर्तों को पूरा करने के बावजूद कई नामी कंपनियों को इसमें शामिल होने से वंचित रखा गया, जिससे बेस्ट को करीब 30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस संबंध में बेस्ट अध्यक्ष, मनपा में विपक्षी नेता, राज्य के मुख्य सचिव, बेस्ट प्रशासक को पत्र लिख एक नामी कंपनी ने आरोप लगाया है कि अन्य इच्छुक कंपनियां इस प्रक्रिया में भाग इसलिए नहीं ले सकीं, क्योंकि बेस्ट की निविदा में पात्रता मानदंड व्यापक नहीं थे।

नियम-शर्तों पर थी आपत्ति

BEST ने डिजिटल टिकटिंग प्रणाली को लागू करने के लिए 30 जुलाई को निविदा निकाली थी। बेस्ट की प्री-टेंडर मीटिंग में करीब 25 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। हालांकि ज्यादातर कंपनियों के प्रतिनिधियों ने टेंडर के नियम व शर्तों पर आपत्ति जताई थी। इस दौरान कंपनियों के प्रतिनिधियों ने बेस्ट से कुछ पात्रता मानदंडों को बदलने का अनुरोध भी किया था। बावजूद इसके बेस्ट की तरफ से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया।

कैसे बनाया पात्र

निविदा प्रक्रिया में उक्त 25 में से महज 3 कंपनियां शरीक हुईं हैं। मजेदार बात तो यह है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक कंपनी ने निविदा के लिए जरूरी प्रावधानों को पूरा करने के लिए दो अन्य कंपनियों के साथ मिल कर इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया है। BEST पर पात्रता मानदंड में त्रुटि बताकर कंपनी को अयोग्य साबित करने का भी आरोप है। एक ओर पत्र में कहा गया है कि जहां अंतर्राष्ट्रीय कंपनी को वंचित रखा जा रहा, वहीं दूसरी कंपनियों की त्रुटियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें तकनीकी तौर पर निविदा के लिए पात्र कैसे बना लिया गया ? कंपनी ने बेस्ट के चेयरमैन आशीष चेंबूरकर, स्थायी समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव, विपक्षी नेता रवि राजा, राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल और बेस्ट के महाप्रबंधक लोकेश चंद्रा को इस बाबत पत्र लिखा है।

भारी वित्तीय घाटे के बावजूद

रवि राजा का कहना है कि बेस्ट को डिजिटल टिकट की इस टेंडर प्रक्रिया में करीब 30 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
बेस्ट मौजूदा वक्त भारी वित्तीय घाटे में है और उसे मनपा से वित्तीय सहायता लेनी पड़ रही है। ऐसे कठिन हालात में भी बेस्ट नियम तोड़कर टेंडर प्रक्रिया में गैर-पारदर्शिता बरत रहा है, यह बड़े अचरज की बात है।

Exit mobile version