पांचवी बार भी ईडी दफ्तर नहीं पहुंचे देशमुख,सता रहा गिरफ्तारी का डर

पांचवी बार भी ईडी दफ्तर नहीं पहुंचे देशमुख,सता रहा गिरफ्तारी का डर

मुंबई। महानगर के बार-रेस्टोरेंट से हर माह 100 करोड़ की वसूली के आरोपों के चलते गृह मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अनिल देशमुख गिरफ्तारी की डर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने हाजिर होने से बच रहे हैं। देशमुख ईडी की नोटिस पर पांचवी बार भी बुधवार को ईडी के दफ्तर में नहीं पहुंचे। उनका वकील देशमुख का पत्र लेकर जरुर ईडी ऑफिस पहुंचा। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी देशमुख को राहत देने से इंकार कर दिया था। ऐसे में देशमुख पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इस मामले में उनके सचिव रहे दो लोग पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
मनी लांड्रिग के आरोपों का सामना कर रहे राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की ओर से भेजे जा रहे समन को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं। देशमुख ने अपने वकील के हाथों ईडी को भेजे पत्र में कहा है कि वे अपनी स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अभी भी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मंगलवार को ईडी ने देशमुख को समन जारी कर बुधवार को उन्हें अपने कार्यालय में हाजिर रहने को कहा था। यह पांचवा मौका है जब ईडी के समन बावजूद  71 वर्षीय देशमुख उसके सामने हाजिर नहीं हुए हैं।

देशमुख ने ईडी के समन के जवाब में अपने वकील के माध्यम से मामले के जांच अधिकारी को तीन पन्नों को जवाब भेजा है। जिसमें देशमुख ने कहा है किसुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत  मेरे सारे कानून विकल्प खुले रखे हैं। और उन्हें इस्तेमाल करने की छूट भी दी है। जिसके तहत मेरे पास कोर्ट में इस मामले को रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दायर करने की भी छूट हैं। पत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देशमुख ने कहा है कि वे एक व दो दिन में अपनी स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए उपलब्ध कानूनी विकाल्पों का सहारा लेगे। देशमुख ने कहा है कि वे कानून का पालन करनेवाले नागरिक हैं। उन्होंने पत्र में ईडी से आग्रह किया है कि जब तक कोर्ट उनकी ओर से किए जानेवाले आवेदन पर उचित आदेश नहीं जारी करती है तब तक ईडी ऑइलाइन तरीके से उनका जवाब दर्ज करे। देशमुख के इस जवाब के बाद ईडी अब कौन सा कदम उठाएगी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देशमुख को कोई राहत नहीं दी थी पर उन्हें उपलब्ध कानूनी विक्लपों का इस्तेमाल करने की छूट दी थी।

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