प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट में बताया कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख धन शोधन की साजिश के पीछे “मुख्य साजिशकर्ता” थे और उन्होंने धन इकट्ठा करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया था। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों के अनुकूल तबादलों और पदस्थापना के लिए अनुचित प्रभाव डाला।
ईडी ने देशमुख की जमानत याचिका के जवाब में हाईकोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया। ईडी के सहायक निदेशक तसीन सुल्तान द्वारा दायर हलफनामे में देशमुख की याचिका को खारिज करने की मांग की गई क्योंकि इसमें “ कोई दम ” नहीं है और कहा कि देशमुख प्रभावशाली व्यक्ति हैं व जांच को प्रभावित कर सकते हैं। एजेंसी ने कहा, “आवेदक (देशमुख) अपने बेटे ऋषिकेश देशमुख, सचिन वाजे (बर्खास्त पुलिस अधिकारी), संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे (देशमुख के पूर्व सहयोगी) के साथ मिलकर रची गई पूरी साजिश का मास्टरमाइंड है।
”हलफनामे में कहा गया है, “आवेदक बार और रेस्तरां मालिकों से पैसा इकट्ठा करने की पूरी साजिश के पीछे मुख्य साजिशकर्ता है।” एजेंसी ने आगे दावा किया कि देशमुख ने अपनी सार्वजनिक सेवा के दौरान बड़ी संपत्ति अर्जित की और इस धन का स्रोत अब भी अस्पष्ट है। इसमें कहा गया है, “देशमुख ने जांच में सहयोग नहीं किया है और वह धन के स्रोत की व्याख्या करने में सक्षम नहीं हैं और वास्तविक तथ्य छिपा रहे हैं।” केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया कि देशमुख ने स्वीकार किया है कि एक अनौपचारिक सूची प्रसारित की जाती थी जिसमें पुलिस अधिकारियों और संबंधित स्थानों के नाम होते थे, जहां उनका स्थानांतरण किया जाना था, जिसके लिए कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया था।
एजेंसी ने कहा कि मामले की जांच अभी शुरुआती चरण में है और इसलिए जमानत देने से जांच में बाधा आएगी तथा अपराध से अर्जित आय का पता नहीं चल पाएगा। देशमुख को ईडी ने नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं। इस महीने की शुरुआत में एक विशेष अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद राकांपा नेता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी और ईडी के मामले को झूठा और तुच्छ बताया। न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एकल न्यायाधीश की पीठ शुक्रवार को देशमुख की याचिका पर सुनवाई करेगी।
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