गगनयान मिशन की सुरक्षित लैंडिंग के पैराशूट्स का इसरो ने किया सफल परीक्षण

गगनयान मिशन की सुरक्षित लैंडिंग के पैराशूट्स का इसरो ने किया सफल परीक्षण

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के लिए एक अहम उपलब्धि हासिल करते हुए क्रू मॉड्यूल के डीसेलेरेशन सिस्टम में इस्तेमाल होने वाले ड्रोग पैराशूट्स के क्वालिफिकेशन परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। यह परीक्षण भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है। इसरो वर्ष 2026 में गगनयान के पहले मानवरहित मिशन को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है।

यह परीक्षण 18 और 19 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ स्थित डीआरडीओ की टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (TBRL) के रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) फैसिलिटी में किए गए। इन ट्रायल्स का उद्देश्य गगनयान क्रू मॉड्यूल के पैराशूट सिस्टम की विश्वसनीयता, मजबूती और प्रदर्शन को अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में परखना था।

गगनयान के क्रू मॉड्यूल का डीसेलेरेशन सिस्टम कुल 10 पैराशूट्स से मिलकर बना है, जो चार अलग-अलग श्रेणियों के हैं। ये पैराशूट्स पृथ्वी के वायुमंडल में अत्यधिक गति से प्रवेश के दौरान अंतरिक्ष यान की रफ्तार को क्रमिक रूप से कम करने और उसे स्थिर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पैराशूट सिस्टम का क्रम इस प्रकार है—सबसे पहले दो एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट्स सक्रिय होते हैं, जो पैराशूट कम्पार्टमेंट के सुरक्षात्मक कवर को अलग करते हैं। इसके बाद दो ड्रोग पैराशूट्स तैनात किए जाते हैं, जो तेजी से घूम रहे क्रू मॉड्यूल को स्थिर करते हैं और उसकी गति को सुरक्षित स्तर तक कम करते हैं। ड्रोग पैराशूट्स के अलग होने के बाद तीन पायलट पैराशूट्स क्रमशः खुलते हैं, जो अंततः तीन बड़े मुख्य पैराशूट्स को बाहर निकालते हैं। ये मुख्य पैराशूट्स क्रू मॉड्यूल की गति को और कम कर देते हैं, ताकि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित स्प्लैशडाउन या टचडाउन सुनिश्चित की जा सके।

ड्रोग पैराशूट्स को सबसे अहम माना जाता है, क्योंकि इनकी तैनाती वायुमंडल में पुनः प्रवेश के उस चरण में होती है, जहां एयरोडायनामिक लोड और उड़ान की परिस्थितियां तेजी से बदलती रहती हैं। दिसंबर में किए गए इन परीक्षणों का उद्देश्य इन्हीं चुनौतीपूर्ण और ऑफ-नॉमिनल परिस्थितियों में ड्रोग पैराशूट्स के प्रदर्शन को सत्यापित करना था। RTRS पर किए गए दोनों परीक्षणों में सभी निर्धारित लक्ष्य पूरे हुए और यह साबित हुआ कि सिस्टम बड़े स्तर के बदलावों के बावजूद अपेक्षित रूप से कार्य करता है।

इसरो ने इन सफल परीक्षणों को मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए गगनयान पैराशूट सिस्टम की योग्यता सुनिश्चित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बताया है। इस परीक्षण अभियान में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के साथ-साथ डीआरडीओ की एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ADRDE) और TBRL की सक्रिय भागीदारी रही, जो भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के पीछे बहु-एजेंसी सहयोग को दर्शाता है।

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