भारत सरकार ने एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की दर्दनाक दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। इस जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है, जो हादसे के कारणों की गहराई से पड़ताल करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाएगी।
12 जून को अहमदाबाद से लंदन गैटविक एयरपोर्ट जा रही फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक व्यक्ति ही जीवित बच पाया, जबकि 241 लोगों की जान चली गई। यह हाल के वर्षों की सबसे भीषण हवाई दुर्घटनाओं में से एक है।
समिति के कार्य और दायरा:
भारत सरकार द्वारा गठित इस उच्चस्तरीय समिति का मुख्य उद्देश्य एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की भयावह दुर्घटना के मूल कारणों की विस्तृत जांच करना है। यह समिति यह पता लगाएगी कि दुर्घटना के दौरान किस स्तर पर चूक हुई—तकनीकी खराबी, मानवीय त्रुटि या सिस्टमिक विफलता। इसके अलावा, समिति मौजूदा हवाई सुरक्षा नियमों और प्रक्रियाओं की व्यापक समीक्षा भी करेगी, जिससे यह आकलन किया जा सके कि क्या वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है या उसमें बदलाव की आवश्यकता है। समिति का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य यह होगा कि वह भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचाव के लिए नीतिगत सुझाव और संरचनात्मक सुधार प्रस्तावित करे।
हालांकि कई अन्य एजेंसियां भी इस दुर्घटना की अपनी-अपनी जांच कर रही हैं, लेकिन यह समिति उनकी जगह नहीं लेगी। बल्कि इसका केंद्रबिंदु सुरक्षा-नीतियों और नियमों में सुधार करना होगा, जिससे भारत की हवाई यात्रा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित तथा विश्वसनीय बनाया जा सके।
समिति में कौन-कौन होंगे शामिल?
इस समिति का नेतृत्व केंद्रीय गृह सचिव करेंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रही है। इस समिति में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय वायु सेना, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS), नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और इंटेलिजेंस ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
साथ ही, गुजरात सरकार, अहमदाबाद पुलिस, राज्य आपदा प्रतिक्रिया प्राधिकरण और फोरेंसिक साइंस के विशेषज्ञ भी इस समिति का हिस्सा होंगे, जिससे स्थानीय प्रशासन और तकनीकी विशेषज्ञता दोनों का समन्वय संभव हो सकेगा। आवश्यकता पड़ने पर विदेशी विमानन एजेंसियों, विमान निर्माता कंपनियों, कानूनी सलाहकारों और तकनीकी विश्लेषकों को भी समिति में शामिल किया जाएगा, ताकि जांच किसी भी स्तर पर अधूरी न रह जाए।
जांच के लिए मिलेंगे सभी अहम दस्तावेज:
समिति को फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स), कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग, विमान के रखरखाव से जुड़े लॉग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के रिकॉर्ड, और गवाहों के बयान जैसे अहम सबूतों तक सीधी पहुंच दी जाएगी। समिति दुर्घटनास्थल का दौरा भी करेगी और रेस्क्यू टीम, ATC कर्मचारियों और बचावकर्मियों से बातचीत करेगी।
अगर जांच के दौरान कोई अंतरराष्ट्रीय कोण सामने आता है, तो समिति संबंधित विदेशी एजेंसियों और विमान निर्माता कंपनियों से सीधा समन्वय करेगी।
सरकार ने समिति को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इस रिपोर्ट में हादसे के मूल कारणों, आपात प्रतिक्रिया, रेस्क्यू ऑपरेशन, और एजेंसियों के बीच समन्वय की समीक्षा शामिल होगी।
हवाई सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर:
समिति यह भी सुझाव देगी कि, ऐसे हादसों में प्रशिक्षण और संचार तंत्र को कैसे बेहतर बनाया जाए। राज्य और केंद्र सरकार की भूमिकाओं को और अधिक स्पष्ट किया जाए और भारत की हवाई आपात प्रतिक्रिया प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कैसे बनाया जाए।
AI-171 की त्रासदी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब जब सरकार ने जांच के लिए एक शक्तिशाली और बहुआयामी समिति गठित की है, तो उम्मीद की जा रही है कि इस भयावह हादसे के पीछे की सच्चाई सामने आएगी और भविष्य के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय तय किए जाएंगे।
यह भी पढ़ें:
विरोध प्रदर्शनों के बीच ट्रंप का बड़ा कदम: कृषि, होटल, रेस्तरां सेक्टर पर छापे रोकने का आदेश
डीपीएस द्वारका के खिलाफ अभिभावकों का बड़ा प्रदर्शन: ‘
मंगनी लाल मंडल को मिली जिम्मेदारी, बने राजद के प्रदेश अध्यक्ष!



