मुंबई। पुणे निवासी एक शख्स को उसकी गाड़ी द्वारा मुंबई में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने के लिए दंडित किए जाने का मैसेज मिला, तब उसने साफ कह दिया कि संबंधित अवधि के दौरान वह अपनी गाड़ी मुंबई लाया ही नहीं था।
फर्जी नंबर, 2 धराए: लिहाजा, अगले 24 घंटे तक इस नंबर के वाहन की पुलिस ने मुस्तैदी से तलाशी की, तब जाकर कहीं पुलिस को यह वाहन घाटकोपर की अमृतनगर झोपड़पट्टी के पास मिला। इस प्रकरण में फर्जी नंबर होने के आरोप में पुलिस ने 2 शातिरों को गिरफ्तार किया है। उनके नाम अशरफ मेमन और शाहरुख खान हैं। अशरफ अंधेरी और शाहरुख धारावी का रहने वाला है।
बिना मुंबई आए 3 बार जुर्माना: यह मामला पेश आया पुणे निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग अनिल शास्त्री के साथ। कैंसर पेशेंट इस बुजुर्ग ने घाटकोपर ट्रैफिक पुलिस को सूचित किया था कि उनकी कार पर मुंबई में 3 बार जुर्माना लगाए गए होने के मैसेज मिले हैं, लेकिन उस दरमियान यह कार पुणे में थी। वे आखिरी बार जनवरी माह में इलाज के लिए मुंबई आए थे। आर्थिक तंगी के कारण वे जुर्माना नहीं भर पाएंगे। उन्होंने लंबे समय से मुंबई की यात्रा भी नहीं की थी,बावजूद इसके उन्हें नियम तोड़ने पर जुर्माना भरने के लिए ई-चालान के मैसेज प्राप्त हो रहे थे। ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर नागराज मजगे से उन्होंने इस बारे में शिकायत करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया था।
अमृतनगर के पास हुई बरामदगी: मामला संगीन नजर आ रहा था, सो झट 3 पुलिस टीमें बना कर उन्हें जांच में जुटा दिया गया। जगदूशा नगर, गोलीबार मार्ग, भटवाड़ी, अमृतनगर, अंधेरी गोरेगांव लिंक रोड आदि परिसरों की पुलिस ने खाक छान मारी, अनिल की नंबर प्लेट वाली गाड़ी की तलाश की जा रही थी, क्योंकि क्षेत्र में उस पर कार्रवाई की गई थी। आखिरकार,पुलिस टीम को इसमें कामयाबी हासिल हुई और अमृतनगर के पास से इस वाहन को बरामद किया गया। बाद में अशरफ मेमन और शाहरुख खान ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर इस वाहन के बारे में दरियाफ्त की।
चेसिस नंबर लिखा दोबारा: पार्कसाइट पुलिस इस प्रकरण में आगे तहकीकात कर रही है। पार्कसाइट पुलिस स्टेशन की इंचार्ज सीनियर इंस्पेक्टर जुबैदा शेख के मुताबिक अब तक की तफ्तीश में पता चला कि वाहन का पंजीकरण नंबर, इंजन नंबर और चेसिस नंबर अलग हैं। गिरफ्तार दोनों शातिरों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 3800 रुपये का जुर्माना भर एक महिला से यह कार खरीदी। संभव है कि चेसिस नंबर दोबारा लिखकर उन्हें फर्जी नंबर के साथ वाहन दिया गया हो।