सेतु पाठ्यक्रम से ठाकरे सरकार ने कैसे बढ़ाया विद्यार्थियों-अभिभावकों का सिरदर्द?

सेतु पाठ्यक्रम से ठाकरे सरकार ने कैसे बढ़ाया विद्यार्थियों-अभिभावकों का सिरदर्द?

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मुंबई। कोरोना के कहर के चलते बीते साल महाराष्ट्र के स्कूल-कॉलेजों में कक्षाएं नहीं लगे बगैर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी गई थी। हकीकत में धरातल पर ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली का अनुभव न तो शिक्षकों को है और न ही विद्यार्थियों को, नतीजा इसका यह रहा कि विद्यार्थियों का व्यापक शैक्षणिक नुकसान हुआ है। शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों के इस नुकसान की भरपाई के लिए सेतु पाठ्यक्रम लागू किया है, जिसकी वर्कशीट स्कूलों ने विद्यार्थियों को घर से लाने के निर्देश दिए हैं। नियमित पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं के अध्ययन के साथ ही इसमें सेतु पाठ्यक्रम के और जुड़ जाने से विद्यार्थियों के सिरदर्द में इजाफा हुआ है। लिहाजा, विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों में खासा चिंता का माहौल है। ठाकरे सरकार के इस रवैए के प्रति उनमें भारी रोष व्याप्त है।

घर से हल करनी है सभी विषयों की लिखित वर्कशीट

विद्यार्थी पिछली कक्षा की क्षमता हासिल किए बिना अगली कक्षा में चले जाएंगे, इस आशंका के मद्देनजर महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग’ ने कक्षा दूसरी से दसवीं तक के लिए सेतु पाठ्यक्रम तैयार किया है, जो 1 जुलाई से 14 अगस्त तक चलेगा। छात्रों से अपेक्षा की गई है कि वे इस पाठ्यक्रम में सभी विषयों की वर्कशीट लिखित रूप में हल करें। रोजाना की ऑनलाइन क्लास,अध्ययन आदि के साथ ऑनलाइन कक्षाओं में सेतु पाठ्यक्रम शामिल कर दिए जाने से विद्यार्थियों का तनाव बढ़ गया है।

मूल्यांकन में नहीं होगा इसके अंकों पर विचार

महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के उपनिदेशक विकास गरड के मुताबिक इस पाठ्यक्रम के संचालन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्कूलों की है। यदि विद्यार्थियों में बीते शैक्षणिक वर्ष की कुछ योग्यताओं का विकास नहीं हुआ है, तो इस सेतु पाठ्यक्रम के जरिए उनकी समीक्षा की जाएगी। विद्यार्थियों के अभिभावकों और शिक्षकों को इसमें यह नहीं सोचना चाहिए कि मूल्यांकन में इसके अंकों पर विचार किया जाएगा।

विद्यार्थियों पर अचानक इतना भार लादना उचित नहीं

स्वाति दामले नामक अभिभावक ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि प्राथमिक कक्षाओं में पिछले साल लेखन संबंधी इतना भार नहीं था और अब अचानक विद्यार्थियों पर इतना भार लादना उचित नहीं है। यह पाठ्यक्रम गर्मी की छुट्टी के अंत में या जारी शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में ही दे दिया जाना चाहिए था।

सरकारी उदासीनता

प्रगतिशील शिक्षक संगठन के तानाजी कांबले ने कहा है कि फिजिकली स्कूल शुरू रहते सभी विषय एक ही दिन नहीं पढ़ा दिए जाते। साथ ही, सभी विषयों की वर्कशीट हल करने के लिए हर दिन ऑनलाइन कक्षाएं लेना भी संभव नहीं। लिहाजा, संगठन ने शिक्षा विभाग को इस बारे में पत्र लिखकर रोजाना के वर्कशीट्स की संख्या घटाने और इस उद्देश्यपूर्ति के लिए ज्यादातर मौखिक समीक्षा कर लेने की मान की थी, लेकिन राज्य सरकार ने इस बाबत अब तक कोई गौर नहीं की है।

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