कैसे बन गए कागज़ पर 42 झोपड़े, जानें

कैसे बन गए कागज़ पर 42 झोपड़े, जानें

file photo

मुंबई। मुंबई के प्रभादेवी क्षेत्र में एसआरए प्रोजेक्ट के अंतर्गत करीब 42 बोगस झोपड़े बना दिए जाने का सनसनीखेज प्रकरण सामने आया है। यह मामला प्रभादेवी के कामगारनगर है।यहां मुंबादेवी एसआरए प्रोजेक्ट प्रस्तावित है, जिसके लिए झोपड़ाधारकों का सर्वे जारी है। इसी सर्वे के दौरान यहाँ  बोगस झोपड़ाधारकों के नाम शामिल किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।

बिल्डर को मिलता है एफएसआई का लाभ: जिस जगह का जिक्र हो रहा है, दरअसल वहां झोपड़े थे ही नहीं, पर कागजात में झोपड़े उग आए। वाकई में जहां झोपड़े थे, उन्हें पात्र घोषित कर 29 जनवरी 2016 को मनपा के जी / दक्षिण वार्ड ऑफिस द्वारा परिशिष्ट-दो मंजूर किया गया था। एसआरए प्रोजेक्ट में बोगस झोपड़ों की संख्या बढ़ने से बिल्डर को एफएसआई का लाभ मिलता है, इस वजह से बोगस नाम शामिल किए जाने का पता चला है।
आशीर्वाद के बगैर संभव नहीं यह ‘ चमत्कार ‘: इस प्रकरण से शिवसेना के नगरसेवक द्वारा अपनी ही पार्टी की सत्ता वाली मनपा को यह ‘अजूबी भेंट’ देने का मामला उजागर हुआ है।  शिवसेना  नगरसेवक समाधान सरवणकर के मूलतः जगह पर झोपड़े न होने के बावजूद उन्हें पात्र साबित कर प्रोजेक्ट में शामिल कैसे किया गया, इस मुद्दे को लेकर मनपा में शिकायत की है। असल में जहां झोपड़े ही नहीं थे, पर सरकारी कागजात पर 42 झोपड़े बन गए, यह ‘ चमत्कार ‘ मनपा अधिकारियों के आशीर्वाद के बगैर संभव नहीं था।  लेकिन अब यह आत्मघाती बनता देख आननफानन में लीपापोती कर इन बोगस झोपड़ाधारकों के नाम  परिशिष्ट-2 से बाहर कर दिए गए हैं।
मनपा ने झोपड़ों को माना बोगस: इस मामले को,लेकर सरवणकर ने जी / दक्षिण वार्ड ऑफिस के सीनियर रिहायशी परिसर अधिकारी जीतेंद्र वाघमारे, दिनेश राठोड, रेंट कलेक्टर हीरासिंह  राठोड, सायली बर्डे के संग जाकर झोपडपट्टी का मुआयना किया, तब हकीकत में जगह पर एक भी झोपड़ा देखने को नहीं मिला। सरवणकर ने 12 अगस्त को हुई मनपा की बैठक में इस बाबत मुद्दा उठाया था, जिस पर मनपा प्रशासन ने दिए लिखित उत्तर में इन झोपड़ों के बोगस होने की बात मान्य की थी। बावजूद इसके इस गंभीर प्रकरण में अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है, लोगों में इस पर हैरत जताई जा रही है।

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