नई दिल्ली में गुरुवार (4 दिसंबर) को भारत और रूस ने अपनी दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी को दोहराया, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसॉव ने भारत–रूस सैन्य एवं सैन्य-तकनीकी सहयोग पर 22वीं अंतर-सरकारी आयोग बैठक की संयुक्त अध्यक्षता की। बैठक ऐसे समय में आयोजित हुई है जब दोनों देशों के बीच रक्षा, आर्थिक और सामरिक संबंधों में नई गति देखी जा रही है।
बैठक के उद्घाटन सत्र में राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने वाले हालिया प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हम पिछले महीने मॉस्को में भारत-रूस व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर कार्य समूह की 26वीं बैठक के सफल आयोजन और रूस-नेतृत्व वाले यूरोएशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता की शुरुआत का स्वागत करते हैं।”
#WATCH | Delhi: At the 22nd India-Russia Inter-Governmental Commission on Military & Military Technical Cooperation ministerial meeting, Defence Minister Rajnath Singh says, "…We welcome the successful holding of the 26th meeting of the India-Russia Working Group on Trade and… pic.twitter.com/WRNjhN4uCt
— ANI (@ANI) December 4, 2025
सिंह ने आगे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आगमन को बेहद महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा, “हम उनकी यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, जो आज पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि यह शिखर वार्ता हमारे विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करेगी।”
दूसरी ओर, बेलोउसॉव ने भारत की मेहमाननवाज़ी की सराहना करते हुए दोनों देशों की मजबूत और समय-परीक्षित मित्रता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत–रूस संबंध न केवल द्विपक्षीय हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि दक्षिण एशिया और वैश्विक स्थिरता के लिए भी अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारी साझेदारी दक्षिण एशियाई क्षेत्र में संतुलन और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक प्रमुख तत्व है। रूस भारत की सेना, वायु सेना और नौसेना के नए स्वरूप और आधुनिकीकरण में पूरा सहयोग करता है।”
बेलोउसॉव ने नौसेना दिवस पर भारत को शुभकामनाएँ भी दीं। रूसी मंत्री ने यह भी जोड़ा कि अंतर-सरकारी आयोग दोनों सेनाओं के बीच प्रभावी और पारस्परिक रूप से लाभदायक निर्णयों को आगे बढ़ाने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
बैठक में मौजूदा रक्षा परियोजनाओं की समीक्षा, संयुक्त उत्पादन, तकनीकी सहयोग और भविष्य की ज़रूरतों पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संवाद रूस के साथ भारत की लंबे समय से चले आ रहे रक्षा सहयोग को नई दिशा देगा।
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