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Tuesday, December 9, 2025
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किश्तवाड़ त्रासदी: “…20 जेसीबी हैं लेकिन सिर्फ़ दो ही काम कर रही हैं।”

 उमर अब्दुल्ला के सामने फूटा दर्द

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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले का चशोती गांव इस समय भीषण त्रासदी से जूझ रहा है। बुधवार (13 अगस्त) को आए बादल फटने के बाद आई अचानक बाढ़ ने दर्जनों परिवारों को तबाह कर दिया। अब तक 60 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अब भी लापता हैं। गांव के लोग लगातार तीसरे दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच अपनों के शवों का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन धीमे और बार-बार रुकते राहत कार्यों ने पीड़ित परिवारों का गुस्सा चरम पर पहुँचा दिया।

बचाव स्थल पर मौजूद लोगों का आरोप है कि नेता केवल फोटो खिंचवाने आते हैं और उनके आने से राहत कार्य रुक जाता है। एक पीड़ित ने मीड़िया से कहा, “यहां पर 20 जेसीबी हैं लेकिन सिर्फ़ दो ही काम कर रही हैं। मंत्री और विधायक आते हैं और पुलिस व सेना को अपना काम करने से रोक देते हैं। तीन दिन हो गए, सिर्फ दो पत्थर ही हटाए गए हैं। क्या हमारे परिवार नहीं हैं? अगर ज़िंदा नहीं हैं तो हमें लाशें ही दे दीजिए।”

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खुद मौके पर पहुंचते ही परिजनों का समस्या को लेकर गुस्सा फुट पड़ा। रोते-बिलखते एक व्यक्ति ने उनसे कहा, “हम तीन दिन से इंतज़ार कर रहे हैं। प्लीज हमारे परिजनों के शव हमें दे दीजिए। हर नेता यहां आकर फोटो खिंचवाने के लिए काम रुकवा देता है।” जवाब में सीएम अब्दुल्ला ने भरोसा दिलाने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन पूरी कोशिश कर रहे हैं और वे खुद इसलिए आए हैं ताकि राहत कार्य में तेजी लाई जा सके।

एक अन्य शख्स ने गुस्से में कहा कि अगर यह हादसा किसी विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री के परिवार के साथ हुआ होता, तो कार्रवाई कहीं तेज़ होती। उसने बताया कि उनके परिवार के 13 सदस्य लापता हैं, जिनमें उनकी मां और मौसी भी शामिल हैं। वहीं दूसरे शख्स ने कहा कि उनकी पत्नी, दो बच्चे और रिश्तेदार जब बादल फटा तब से लापता हैं। वे बोले, “कल से सिर्फ़ दो जेसीबी काम कर रही थीं। एक मशीन तो आपके आने के बाद ही शुरू हुई। हमें कुछ नहीं चाहिए, बस शव लौटा दीजिए।”

शनिवार (16 अगस्त) सुबह किश्तवाड़ पहुंचे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि शवों को निकालने और लापता लोगों को ढूंढने के लिए हरसंभव प्रयास जारी है। उन्होंने जानकारी दी कि अभी भी कम से कम 80 लोग लापता हैं।

यह आपदा जनहानि समेत प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक दिखावे से पीड़ितों की पीड़ा और गहरा कर रही है। तीन दिन से अपनों की लाशों का इंतजार कर रहे परिजनों का गुस्सा और लाचारी अब पूरे प्रदेश में सवाल खड़ा कर रही है।

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