महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि टीकाकरण नहीं करवाए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों के साथ यात्रा की अनुमति देने से अन्य का जीवन खतरे में पड़ जाएगा और कोरोना वायरस तथा इसके स्वरूपों से संक्रमण बहुत तेजी से फैलेगा।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा, ‘‘महाराष्ट्र सरकार (राज्य का अभिभावक) यह खतरा मोल नहीं ले सकती। ’’ हलफनामे में कहा गया है कि कोविड-19 टीके की दोनों खुराक नहीं लगवाए लोगों को राज्य में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से निषिद्ध करने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि टीकाकरण नहीं कराने वाले लोग दूसरों का जीवन खतरे में नहीं डालें।
महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ से कहा कि इस तरह के फैसले तर्कसंगत हैं और भेदभावपूर्ण नहीं हैं तथा ना ही नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन करते हैं। राज्य सरकार ने दो जनहित याचिकाओं के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया है। राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने खुद टीके की दोनों खुराक लगवाई है। उच्च न्यायालय विषय पर अगली सुनवाई तीन जनवरी 2022 को करेगा।
ये भी पढ़ें
CM ठाकरे ठीक होने तक किसी और को सौंपे प्रभार, BJP की मांग पर बढ़ी रार