आखिरकार राज्य सरकार को न चाहते हुए भी विधान परिषद में यह स्वीकार करना पड़ा है कि मुस्लिम समाज को आरक्षण नहीं दे सकते। राकांपा विधायक बाबा जानी दुर्रानी के सवाल के जवाब में लिखित जवाब में बताया गया है कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक होने के कारण मुस्लिम समाज को आरक्षण नहीं दे सकते।
दुर्रानी ने कहा कि सदन में मेरे सवाल का जवाब देने के लिए प्रदेश के अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री मौजूद नहीं हैं। इसलिए मेरे मुस्लिम आरक्षण के सवाल को आरक्षित रख लिया जाए। जिसके बाद सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर ने दुर्रानी की मांग को स्वीकार करते हुए मुस्लिम आरक्षण के सवाल को आरक्षित रखने के निर्देश दिए।
इससे दुर्रानी सदन में मुस्लिम आरक्षण पर बाद में सवाल पूछ सकेंगे। दूसरी ओर प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक ने मुस्लिम आरक्षण के सवाल के लिखित जवाब में कहा है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक होने के चलते मुस्लिम समाज को आरक्षण देना संभव नहीं है। फिर भी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने के लिए शिथिलता मिलने पर मुस्लिम आरक्षण के लिए उचित कार्यवाही की जाएगी। ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के बाद मलिक फिलहाल जेल में बंद हैं। लेकिन सदन में पूछे गए सवाल का मलिक ने लिखित जवाब दिया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 4 मार्च 2021 को विधान परिषद में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में मंत्री मलिक ने कहा था कि मराठा समाज को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिले के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का फैसला राज्य सरकार के विचाराधीन है। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि मुस्लिम समाज को आरक्षण देना संभव नहीं है।