झूठी शान की खातिर हत्या पर रोक

खाप पंचायत के फरमान के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने बनाये नियम

झूठी शान की खातिर हत्या पर रोक

Not Mumbai, but Eknath Shinde's head office is here?

महाराष्ट्र सरकार ने झूठी शान की खातिर हत्या (ऑनर किलिंग), ‘खाप पंचायत’ के फरमान, पीट-पीटकर की जाने वाली हत्या (मॉब लिंचिंग) और हिंसा रोकने के लिए नियम बनाए हैं, साथ ही पुलिस महानिदेशक से राज्य के बलों को इन नियमों के बारे में अवगत कराने को कहा है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि बृहस्पतिवार को जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में जिन नियमों का उल्लेख किया गया है, वे इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की सिफारिशों के अनुरूप हैं।
 जीआर में निर्देश दिया गया है कि महाराष्ट्र के पुलिस थानों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में अंतरजातीय या अंतर-धार्मिक विवाह की घटना की सूचना मिलने पर सतर्कता बरतनी चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि ‘खाप पंचायत’ और इसी तरह के संगठनों के बारे में जिला और पुलिस अधिकारियों को सूचित किया जाना चाहिए और कानून लागू कराने वाली एजेंसियों को इन संगठनों के सदस्यों के संपर्क में रहना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि कानून के अनुसार इस तरह की बैठकों की अनुमति नहीं है।
जीआर के अनुसार, ‘‘स्थानीय पुलिस को सतर्क रहना चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो वे ऐसी बैठकों पर प्रतिबंध भी लगाएं। इसके अनुसार यदि प्रतिबंध के बावजूद बैठक आयोजित की जाती है, तो पुलिस उपाधीक्षक की उपस्थिति में इसे किया जाना चाहिए और प्रतिभागियों को यह बताया जाना चाहिए कि संबंधित प्रेमी युगल या उनके परिजनों को परेशान करने वाला कोई निर्णय नहीं लिया जाए।
जीआर में कहा गया है कि पुलिस को ऐसी बैठकों की वीडियोग्राफी करनी होगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले निर्णयकर्ताओं पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, यदि किसी खाप पंचायत या ऐसे किसी संगठन की बैठक को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है और यदि आशंका है कि प्रेमी युगल की जान खतरे में हो तो दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी होनी चाहिए और प्रतिभागियों को प्रस्ताव के अनुसार गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी के अलावा, उपचारात्मक उपायों में प्रेमी युगल और उनके परिवारों को सुरक्षा शामिल होगी। सरकारी प्रस्ताव के अनुसार रिश्तेदारों, समुदाय के सदस्यों और खाप पंचायत जैसे निकायों से मिलने वाली धमकियों के बारे में प्रेमी युगल की शिकायतों की स्थानीय अधिकारियों द्वारा जांच की जानी चाहिए और एक सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए और धमकी देने वालों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
जानबूझकर या लापरवाही बरतते हुए इन नियमों का पालन नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों को सेवा नियमों के तहत विभागीय जांच सहित दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछार और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। साथ ही हमलावरों को मौके पर ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
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