मराठा आरक्षण: सरकार के 10 फीसदी आरक्षण पर कोर्ट का आदेश!

इस सुनवाई में कोई भी भर्ती कोर्ट के आदेश के अधीन होगी| साथ ही इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी|

मराठा आरक्षण: सरकार के 10 फीसदी आरक्षण पर कोर्ट का आदेश!

Maratha Reservation Case: Court's order on 10 percent reservation of the government!

मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे पाटिल पिछले कुछ महीनों से मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उस आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने रिपोर्ट के मुताबिक मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण दिया था| इस दस फीसदी आरक्षण के खिलाफ वकील गुणरत्न सदावर्ते ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी| इस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई |बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस सुनवाई में कोई भी भर्ती कोर्ट के आदेश के अधीन होगी| साथ ही इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी|

विशेष सत्र में दस प्रतिशत आरक्षण: राज्य सरकार ने 20 फरवरी को एक विशेष सत्र आयोजित किया और मराठा समुदाय को दस प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ली। कैबिनेट की बैठक में मराठा समुदाय को नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने के मसौदे को मंजूरी दे दी गई| इस फैसले पर तुरंत अमल शुरू हो गया| बाद में यह आरक्षण पुलिस भर्ती, शिक्षक भर्ती और मेडिकल प्रवेश में लागू किया गया।

मराठा आरक्षण के अनुसार विज्ञापन: राज्य में 17 हजार पदों पर पुलिस भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गयी है| साथ ही दो हजार शिक्षकों की भर्ती की जायेगी| साथ ही 50 हजार मेडिकल छात्रों का एडमिशन मराठा आरक्षण के मुताबिक होना था| इसलिए गुणरत्न सदावर्ते ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की| कोर्ट ने आदेश दिया कि कोई भी भर्ती कोर्ट के आदेश के अधीन होगी और अगली सुनवाई मंगलवार 12 मार्च को तय की है|

सदावर्ते ने उठाया 50 फीसदी का मुद्दा: सुनवाई के दौरान गुणरत्न सदावर्ते ने मुद्दा उठाया कि 50 फीसदी की आरक्षण सीमा को पार किया जा सकता है| उन्होंने कहा कि राज्य के संविधान से बेहतर कोई नहीं है| सरकार की ओर से राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने पक्ष रखा|  उन्होंने कहा कि एक ही मुद्दे पर एक से अधिक याचिका दायर करना उचित नहीं होगा|

न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनावाला की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह याद रखने का निर्देश दिया कि अगर मराठा आरक्षण के तहत कोई भर्ती या शैक्षणिक प्रमाण पत्र दिया जाता है, तो भी निर्णय अदालत के निर्णय के आधार पर होगा। तो एक बार फिर मराठा आरक्षण पर लटकी तलवार? ऐसा सवाल अब खड़ा हो गया है|

कोर्ट के फैसले के बाद बोले सदावर्ते: गुणरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार सिर्फ तारीख पर तारीख चाहती है| इसलिए हमने मेडिकल प्रवेश की तारीखों को अदालत के संज्ञान में लाया। हमने अदालत को बताया कि सरकार ने यह फैसला राजनीतिक मजबूरी के चलते लिया है। हमने सुप्रीम कोर्ट को दस्तावेज भी दिए हैं. इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया| कोर्ट ने हमारी स्थिति को स्वीकार किया कि सरकार खुली श्रेणी के मेधावी सदस्यों के साथ अन्याय कर रही है। और अगर ये कानून नहीं टिक पाया तो? सदावर्ते ने कहा कि हमारे द्वारा उठाए गए इस सवाल का जवाब सरकारी पक्ष नहीं दे सका|

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