अमेरिका के मिशिगन राज्य में रविवार (28 सितंबर)को एक चर्च में हुए भीषण हमले ने पूरे देश को दहला दिया। ग्रैंड ब्लांक टाउनशिप के चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लैटर-डे सेंट्स में प्रार्थना सभा के दौरान एक बंदूकधारी ने कार घुसाकर भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग की और चर्च में आग भी लगा दी। इस घटना में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई, जबकि आठ अन्य घायल हुए हैं। घायलों में बच्चों के भी शामिल होने की खबर है।
ग्रैंड ब्लांक टाउनशिप पुलिस चीफ विलियम रेने ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि आरोपी की पहचान थॉमस जैकब सैन्फर्ड (40) के रूप में हुई है। सैन्फर्ड अमेरिकी मरीन का पूर्व सैनिक था और इराक में सेवाएं दे चुका था। पुलिस के मुताबिक उसने जानबूझकर चर्च को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस प्रमुख के अनुसार, सुबह जब चर्च में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, तभी सैन्फर्ड ने अपनी कार चर्च में घुसाई और असॉल्ट राइफल से गोलीबारी शुरू कर दी। अफरा-तफरी के बीच उसने इमारत में आग भी लगा दी। बाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में सैन्फर्ड मारा गया।
शाम तक मलबे से दो और शव निकाले गए, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। पुलिस ने बताया कि आरोपी के घर और मोबाइल रिकॉर्ड की तलाशी ली जाएगी ताकि हमले के पीछे की मंशा का पता चल सके। हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया। उन्होंने इसे अमेरिका में एक और बार ईसाइयों पर लक्षित हमला बताया और कहा कि यह हिंसा अब तुरंत खत्म होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एफबीआई मौके पर मौजूद है और जांच कर रही है।
मिशिगन की गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर ने भी घटना पर दुख जताते हुए कहा कि वह लगातार अपडेट ले रही हैं।स्थानीय पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे इलाके से दूर रहें क्योंकि आपातकालीन बचाव कार्य जारी हैं। इस हमले ने एक बार फिर अमेरिका में चर्चों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस भयावह घटना ने न केवल मिशिगन बल्कि पूरे अमेरिका को झकझोर दिया है। आने वाले दिनों में जांच यह तय करेगी कि आखिर थॉमस सैन्फर्ड ने ऐसा कदम क्यों उठाया।
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