राज्य में म्यूकोरमाइकोसिस का होगा मुफ्त इलाज, 8 लोगों की हो चुकी है मौत

राज्य में म्यूकोरमाइकोसिस का होगा मुफ्त इलाज, 8 लोगों की हो चुकी है मौत

स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि राज्य में करीब 2000 से ज्यादा लोग म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज मिले हैं. महात्मा फुले जन-आरोग्य योजना के तहत किया जायेगा शामिल  

मुंबई।राज्य में कोरोना के कहर के बाद अब इन मरीजों में काले फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस ) का प्रकोप बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है।इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि राज्य में करीब 2000 से ज्यादा लोग म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज मिले हैं और  8 लोगों की मौत हो गई है. राजेश टोपे ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज के लिए 14 इंजेक्शन लेने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का इलाज मुफ्त किया जायेगा। इसलिए इस बीमारी को राज्य के महात्मा फुले जन-आरोग्य योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि राज्य में करीब 2000 से ज्यादा लोग म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज हैं और इस बीमारी से राज्य में 8 लोगों की मौत हो गई है. राजेश टोपे ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज के लिए 14 इंजेक्शन लेने की जरूरत होती है. इन इंजेक्शनों की कीमत बहुत अधिक है. इसलिए ऐसे मरीजों का इलाज महात्मा फुले जन-आरोग्य योजना के तहत किया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 2 हजार म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज सामने आ चुके हैं और 8 लोगों की म्यूकोरमाइकोसिस से मौत हो चुकी है. ऐसे में इस विषय की गंभीरता को समझते हुए म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज के लिए विशेष वार्ड की व्यवस्था करने की तैयारी की गई है.

पानी की अशुद्धता की वजह से हो रही बीमारी
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के मुताबिक कि जब कोरोना संक्रमित मरीजों के ऑक्सीजन दिया जाता है तब ऑक्सीजन का पानी अगर शुद्ध नहीं हुआ तो म्यूकोरमाइकोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है. म्यूकोरमाइकोसिस की दवाई एमपी एंपोथेरिसिन हर जगह मिलती है. लेकिन मांग बढ़ने की वजह से इस दवाई की कीमत ढाई हजार रुपए से सीधा छह हजार रुपए तक पहुंच गई है. इसलिए आम आदमी के लिए इसके खर्च का बोझ उठाना आसान नहीं है. इसलिये जल्दी ही इन 14 डोज के इंजेक्शन्स को महात्मा फुले जन-आरोग्य योजना के अंदर शामिल किया गया है.
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में एक बैठक भी ली थी. इस बैठक में अनेक प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों से अनाप-शनाप पैसे बिल बनाकर वसूले जा रहे हैं. इसलिए अब हर दिन सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक सरकारी कर्मचारी ऐसे सेंटरों में नियुक्त किए जाएंगे. ताकि वे यह निगरानी रख सकें कि कहीं मरीजों को लूटा तो नहीं जा रहा. उनके हस्ताक्षर के बाद ही बिल अस्पतालों में भरे जा सकेंगे. जालना जिले के जिलाधिकारी ने जिस तरह अपने जिले में व्यवस्था तैयार की है वैसा ही अन्य जिलों में भी अनुकरण किय जाए.

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