मुंबई हाई कोर्ट द्वारा अवैध कबूतर खानों पर रोक लगाने के स्पष्ट निर्देश के बावजूद जोगेश्वरी ईस्ट स्टेशन रोड पर स्थित कबूतर खाना अब भी चालू है, जिससे नगर प्रशासन की निष्क्रियता और कानून प्रवर्तन की कमजोरी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सोशल मीडिया यूज़र जगन्नाथन रमैय्यर ने X पर इस मुद्दे को उजागर किया। उन्होंने पोस्ट में दावा किया कि आज सुबह तक भी वहां कबूतरों को दाना खिलाया जा रहा था, और मौके पर न तो कोई पुलिसकर्मी मौजूद था और न ही बीएमसी द्वारा नियुक्त ‘क्लीन-अप मार्शल’। उन्होंने लिखा, “जोगेश्वरी ईस्ट स्टेशन रोड का कबूतर खाना कोर्ट आदेश के बाद भी बंद नहीं हुआ है। न पुलिस और न ही कोई क्लीन-अप मार्शल आसपास नजर आते हैं। कृपया इसे स्थायी रूप से बंद करवाएं, जैसे दादर कबूतर खाना को किया गया।”
@mybmcWardKE The Jogeshwari east station road Kabutar Khana is still not closed even after court order. . No police nor Clean up Marshall nearby. Please take immediate action to close it permanently like the Dadar Kabutar Khana.
— Jaganathan Ramaier (@JaganathanRam15) August 3, 2025
यह पोस्ट मुंबई के कई नागरिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंताओं की पुनरावृत्ति करती है, जिनके अनुसार कबूतरों की बीट (मल) से गंभीर सांस संबंधी रोग, जैसे कि हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस, फैलने का खतरा बना रहता है।
हाल ही में बीएमसी ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद कई इलाकों में कबूतर खानों के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिसमें दादर का हाई-प्रोफाइल कबूतर खाना भी शामिल है। हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह कार्रवाई केवल कुछ चुनिंदा इलाकों तक सीमित है और बाकी जगहों पर इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
जहां एक ओर मुंबई में कई कबूतर खाने सील किए जा चुके हैं या तोड़े गए हैं, वहीं जोगेश्वरी जैसे इलाकों में कोर्ट के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। स्थानीय पुलिस या बीएमसी अधिकारियों की गैर-मौजूदगी, प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करती है।
बीएमसी के के/ई वॉर्ड की तरफ से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन स्थानीय नागरिकों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है कि कोर्ट का आदेश केवल हाई-प्रोफाइल इलाकों तक ही सीमित न रहे, बल्कि सभी जगह समान रूप से लागू हो।
स्वास्थ्य के बढ़ते खतरे और कानूनी आदेशों की अनदेखी के बीच, शहर के नागरिक निकायों के लिए अब यह ज़रूरी हो गया है कि वे कानून का सख्ती से पालन कराएं और जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
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