मुंबई। किसी पुलिस अधिकारी का एक जगह पर तीन का साल कार्यकाल पूरा होने से पहले उसका तबादला करने पर तबादला आदेश में उसका कारण भी बताना चाहिए। बगैर किसी खास कारण के सरकार मध्यावधि तबादला नहीं कर सकती। यह कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने नाशिक ग्रामीण के एसपी सचिन पाटील के तबादले पर रोक लगा दी। करीब एक साल पहले ही पाटील को इस पद पर भेजा गया था। इसके बावजूद 9 सितंबर 2021 को उनका तबादला कर उन्हें राज्य के खुफिया विभाग के पुलिस उपायुक्त पद पर भेज दिया गया था। आमतौर पर पुलिस अधीक्षक के पद का दो साल का कार्यकाल होता है। पर पाटिल को उसके पहले ही हटा दिया गया।
भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी: मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि नियमानुसार केवल अपवादजनक परिस्थितियों व जनहित में ही अधिकारी का मध्यावधि तबादला हो सकता है। हालांकि सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी। इसके बाद उनके तबादले के बारे में सिफारिश की गई थी। फिर उनके तबादले का आदेश जारी किया गया था।
कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं: खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व पाटील की याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि इस मामले में अवैध तरीके से पाटील का तबादला किया गया है। क्योंकि जिन परिस्थितियों में पुलिस अधिकारी का मध्यावधि तबादला किया जा सकता है। उसका तबादले के आदेश में उल्लेख नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि एक उद्देश्य के तहत एक पद के लिए सामान्य कार्यकाल सुनिश्ति किया गया है। ऐसे में यदि तबादले का आदेश जारी करते समय कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया जाएगा तो पद के लिए सामान्य कार्यकाल तय करने से जुड़ा उद्देश्य परास्त हो जाएगा।
आवेदन कर सकते है: इसलिए याचिकाकर्ता के तबादले पर साल के अंत तक अंतरिम रोक लगाई जाती है। चूंकि केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (कैट) में मामले की सुनवाई के लिए पीठ ( बेंच) नहीं थी इसलिए खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। खंडपीठ ने कहा कि हम अपेक्षा करते है कि आनेवाले समय में कैट में पीठ उपलब्ध होगी। जिसके बाद याचिकाकर्ता कैट में हाईकोर्ट की ओर से जारी तबादले पर रोक लगाने से जुड़े अंतरिम आदेश की अवधि को बढ़ाने के लिए आवेदन कर सकते है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को भी अंतरिम आदेश को हटाने के लिए आवेदन करने की छूट दी है।