मुंबई। ठाणे जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कोचिंग कक्षाओं का संचालन करने वाली एक कंपनी को एक शिकायतकर्ता को सेवा में कमी के एवज में 10,000 रुपये का मुआवजा और बेटे के कोचिंग शुल्क के रूप में शिकायतकर्ता द्वारा जमा किए गए 40,000 रुपये की राशि को लौटाने का आदेश दिया है। आयोग ने 13 अगस्त को यह आदेश दिया और इसकी एक प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई।
शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया कि उन्होंने 2017 में महाराष्ट्र के कल्याण के एक कोचिंग में अपने बेटे का दाखिल प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए कराया था। शुल्क के तौर पर 40,000 रुपये की राशि और शेष भुगतान के लिए सात पोस्ट डेटेड चेक (पीडीसी) जमा की गई। बाद में शिकायतकर्ता के बेटे ने विषय बदल लिए और कंपनी उसके लिए कोचिंग कक्षाएँ मुहैया कराने के लिए तैयार नहीं हुई।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने बेटे का दाख़िला रद्द कराने का निर्णय लेते हुए 26 जुलाई ,2017 को एक पत्र भेजा और राशि वापस लौटाने की मांग की। इस बारे में उचित जवाब नहीं मिलने के बाद वह ठाणे जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंच गए। आयोग के अध्यक्ष मिलिंद एस सोनावने और सदस्य पूनम वी महर्षि ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी ने न केवल सेवा में कमी की बल्कि शिकायकर्ता से निपटने में भी अनुचित कारोबार चलन का इस्तेमाल किया।