मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बांबे हाईकोर्ट ने बताया कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी को लेकर नासिक में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी। न्यायमूर्ति एस एस शिन्दे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की खंडपीठ को महाराष्ट्र सरकार ने राणे की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आश्वासन दिया। राणे ने इस याचिका में नासिक में दर्ज प्राथमिकी और भविष्य में दर्ज किए जा सकने वाले अन्य सभी मामलों को निरस्त करने का आग्रह किया गया है। राणे ने मंगलवार को अपने वकील अनिकेत निकम के मध्यम से दायर अपनी याचिका में गिरफ्तारी से संरक्षण दिए जाने का भी आग्रह किया है। भारत की स्वतंत्रता के वर्ष के संबंध में कथित अज्ञानता के चलते मुख्यमंत्री को थप्पड़ मारने संबंधी बयान के आरोप में राणे को मंगलवार को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले से गिरफ्तार किया गया था।
बाद में, रायगढ़ जिले की महाड अदालत ने उन्हें जमानत प्रदान कर दी थी और उन्हें 30 अगस्त तथा 13 सितंबर को अलीबाग पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया था। राणे की टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ महाड, पुणे, ठाणे और नासिक में चार प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि नासिक में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में याचिका पर सुनवाई की तारीख 17 सितंबर तक राणे के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। राणे के वकील सतीश मानशिन्दे ने कथित बयान के संबंध में उत्पन्न हो सकने वाले सभी मामलों में संरक्षण प्रदान करने का आग्रह किया। मानशिन्दे ने कहा कि अभी उन्हें पुणे और ठाणे में दर्ज प्राथमिकियों की प्रति नहीं मिली है, इसलिए वह कथित बयान से उत्पन्न हो सकने वाले सभी मामलों में संरक्षण मांग रहे हैं। देसाई ने हालांकि कहा कि याचिका में केवल नासिक में दर्ज प्राथमिकी का उल्लेख है, इसलिए पूर्ण संरक्षण की बात नहीं की जा सकती। अदालत ने सहमति जताते हुए मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख निर्धारित कर दी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता (राणे) याचिका में संशोधन कर सकते हैं और रिकॉर्ड में सभी प्राथमिकियों को ला सकते हैं। इसने कहा, ‘‘आप (राणे) याचिका में संशोधन कीजिए और सभी प्राथमिकियों का लाइए। तब हम संरक्षण के मुद्दे पर विचार करेंगे।’’ देसाई ने अदालत से कहा कि राणे को भविष्य में इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए जिनका समाज पर कुछ गलत असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘दंडात्मक कार्रवाई न करने के सरकार के बयान का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए तथा याचिकाकर्ता को इस तरह की और टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए।’’ इस पर मानशिन्दे ने कहा कि वह ऐसा कोई वचन नहीं दे सकते क्योंकि सवाल उनके मुवक्किल की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का है। राणे ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और वह निर्दोष हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई प्राथमिकियां दर्ज कर राज्य सरकार उन्हें परेशान कर रही है।