दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (8 अक्तूबर) को पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अधिकारी समीर वानखेड़े की मानहानि याचिका पर सुनवाई करते हुए स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स और अभिनेता शाहरुख़ ख़ान की प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट को समन जारी किया है। यह याचिका नेटफ्लिक्स पर प्रसारित सीरीज़ “The B**ds of Bollywood”* के खिलाफ दायर की गई है, जिसका निर्देशन आर्यन ख़ान ने किया है।
NCB अधिकारी समीर वानखेड़े ने 2021 में आर्यन ख़ान को कथित रूप से ड्रग्स के कब्जे और तस्करी के मामले में गिरफ्तार करने के बाद वह सुर्खियों में आए थे। आरोप है कि इस सीरीज़ में उनके चरित्र को नकारात्मक और अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है।
वानखेड़े के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने याचिका में संशोधन के लिए आवेदन दाखिल किया है और यह दलील दी कि दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले पर क्षेत्राधिकार प्राप्त है। उन्होंने अदालत में कहा, “इस सीरीज़ के प्रसारण के बाद मेरे, मेरी पत्नी और मेरी बहन के खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग हो रही है। यह बेहद चौंकाने वाला है। प्रतिवादी इन पोस्टों का बचाव भी नहीं कर रहे।”
इस पर न्यायमूर्ति पुरषेंद्र कुमार कौऱव ने टिप्पणी की, “हम समझते हैं कि आपके पास इस अदालत का दरवाज़ा खटखटाने का उचित कारण है, लेकिन एक कानूनी प्रक्रिया का पालन भी आवश्यक है।” इस मामले में अंतरिम निषेधाज्ञा (interim injunction) पर अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई (26 सितंबर) में हाईकोर्ट ने वानखेड़े को अपनी मानहानि याचिका संशोधित करने का निर्देश दिया था, यह कहते हुए कि यह दिल्ली में विचारणीय नहीं है। उस समय न्यायमूर्ति कौऱव ने कहा था, “मैं आपकी याचिका खारिज कर रहा हूँ। यदि आपने यह दावा किया होता कि आपको दिल्ली सहित विभिन्न स्थानों पर बदनाम किया गया है और अधिकतम क्षति यहीं हुई है, तो अदालत इस पर विचार कर सकती थी।”
वानखेड़े ने अपनी याचिका में कहा है कि नेटफ्लिक्स की यह सीरीज़ उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करती है। उन्होंने 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है, जिसे वे कैंसर पीड़ितों के इलाज हेतु टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान करने की बात कह रहे हैं।
उन्होंने एक दृश्य पर विशेष आपत्ति जताई है, जिसमें एक पात्र “सत्यमेव जयते” बोलने के तुरंत बाद बीच की उंगली दिखाता है। वानखेड़े का कहना है कि यह कृत्य राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act) का गंभीर उल्लंघन है और भारतीय क़ानून के तहत दंडनीय अपराध है। मामले को लेकर फिल्म उद्योग और कानूनी हलकों में हलचल मची है, जबकि अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि याचिका के औपचारिक संशोधन के बाद ही इस पर आगे सुनवाई होगी।
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