लोकसभा ने सोमवार, 11 अगस्त को इनकम टैक्स (संख्या 2) विधेयक 2025 और टैक्सेशन लॉज़ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी। यह ऐतिहासिक कदम भारत की प्रत्यक्ष कर व्यवस्था में बड़े बदलाव का संकेत है। नया कानून 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा और अब राज्यसभा में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की सहमति मिलते ही यह कानून लागू हो जाएगा। वित्त मंत्रालय के अनुसार, नया बिल सरकार के उस लक्ष्य को दर्शाता है, जिसमें टैक्स व्यवस्था को सरल और आधुनिक बनाने का प्रयास किया गया है। इसे SIMPLE नामक संक्षिप्त रूप में पेश किया गया है:
- S: Streamlined structure and language — सरलीकृत संरचना और भाषा
- I: Integrated and concise — एकीकृत व संक्षिप्त प्रावधान
- M: Minimised litigation — न्यूनतम मुकदमेबाज़ी
- P: Practical and transparent — व्यावहारिक और पारदर्शी व्यवस्था
- L: Learn and adapt — सीखने और बदलाव के लिए लचीलापन
- E: Efficient tax reforms — प्रभावी कर सुधार
नए प्रावधानों को साधारण भाषा में लिखा गया है, पूरे ढांचे को एक ही कानून में समेकित किया गया है और स्पष्ट तालिकाओं व संरचित प्रारूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे भ्रम की स्थिति न बने। साथ ही, FAQs और मार्गदर्शन नोट्स भी दिए जाएंगे ताकि अलग-अलग व्याख्याओं की गुंजाइश कम हो।
अनुपालन में सुधार के लिए पुराने और अनावश्यक प्रावधान हटाए गए हैं, क्रॉस-रेफरेंस को सरल किया गया है और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया गया है। TDS सुधार की समयसीमा 6 साल से घटाकर 2 साल कर दी गई है, घाटा आगे ले जाने के नियम स्पष्ट किए गए हैं और अधिक रसीद वाले प्रोफेशनल्स को निर्धारित डिजिटल भुगतान मोड अपनाने होंगे। लेट फाइलर्स को राहत देते हुए अब देर से रिटर्न भरने पर भी टैक्स रिफंड का दावा किया जा सकेगा और देर से TDS जमा करने पर पेनल्टी नहीं लगेगी।
पुनः बहाल किए गए प्रावधानों में मिश्रित उद्देश्यों वाले ट्रस्ट को गुमनाम दान पर छूट, बिना सख्त समयसीमा के TDS रिफंड का दावा, निर्दिष्ट फंड से पेंशन पर छूट, इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर धारा 80M के तहत कटौती, और संपत्ति मूल्यांकन में अपेक्षित या वास्तविक किराए में से अधिक मूल्य को मानक बनाना शामिल है।
सेक्टर-विशिष्ट राहत में धार्मिक व मिश्रित उद्देश्य ट्रस्टों के लिए गुमनाम दान पर छूट, सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश फंड को प्रत्यक्ष कर लाभ, MSME परिभाषा को MSME अधिनियम के अनुरूप लाना और डुअल वित्तीय-व आकलन वर्ष प्रणाली की जगह एकल ‘टैक्स ईयर’ लागू करना शामिल है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और कोर्ट द्वारा परिभाषित शब्दों को बरकरार रखा गया है। साथ में पारित टैक्सेशन लॉज़ (संशोधन) विधेयक, भारत में निवेश करने वाले विदेशी संप्रभु कोषों को अतिरिक्त राहत देता है।
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