सत्ता मिलने की संभावना की वजह से शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की बनी महाविकास आघाडी अवसरवादी राजनीति थी। यह अब पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है। सत्ता जाते ही आघाड़ी में बिगाड़ हो गया है। इकट्ठा रहने पर ‘तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा’ वाली स्थित होगी इसका उन्हें विश्वास हो गया है। इसी कारण से विधान परिषद चुनाव में तीनों दलों के मुंह तीन दिशा में दिखाई दे रहे हैं। महाविकास आघाडी के रूप में सत्ता सुख भोगते वक्त भी एक-दूसरे को निपटाने की कोशिश करने वाले नेताओं को अब अपनी पार्टी कैसे बचाई जाये इसकी चिंता सताने लगी है। महाविकास आघाडी महाराष्ट्र को लगा ग्रहण था। यह बात प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने शुक्रवार को कही। वे भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार परिषद को संबोधित कर रहे थे।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उपाध्ये ने कहा कि सत्ता जाने के बाद भी इकट्ठा रहने की बात करने वाले महाविकास आघाडी के तीनों दल विधान परिषद की पांच सीट के चुनाव में एकजुट नहीं रह सके। इससे उनके एकजुट रहने की गर्जना खोखली थी। यह साबित हो गया है। बगावत, नाराजगी और फूट होने के डर से ग्रसित कांग्रेस के पास उम्मीदवार ही नहीं है। पार्टी के भीतर भारी नाराजगी की स्थिति होने की वजह से कांग्रेस की हालत खस्ता हो गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस तो भ्रष्टाचार में लिप्त है। उद्धव ठाकरे की बची हुई सेना महाविकास आघाडी में अकेली पड़ गई है।
कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस इन पार्टी के अस्तित्व को संज्ञान में ही नहीं लिये जाने की वजह से ठाकरे गुट की अवस्था बहुत ही खस्ता हो गई है। इस तिकड़ी वाली स्थिति में आघाडी पांच सीटों के लिए उम्मीदवार तक नहीं दे पाई इससे साफ हो गया है कि आघाडी का अस्तित्व समाप्त हो गया है। नासिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में महाविकास आघाडी के पास उम्मीदवार ही नहीं है। अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ने से कांग्रेस पीछे हट गई है। नागपुर में तीनों दलों ने उम्मीदवार खड़ा कर महाविकास आघाडी ने खुद अपनी तिकड़ी को समेट लिया है। इस प्रकार की टिप्पणी उपाध्ये ने की है।
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