मिग-21 विमानों के पिछले महीने पूरी तरह सेवा से बाहर होने के बाद भारत अब अपनी सुखोई Su-30MKI फ्लीट को अपग्रेड करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह अपग्रेड कार्यक्रम भारतीय वायुसेना (IAF) की घटती स्क्वाड्रन क्षमता की भरपाई के लिए शुरू किया जा रहा है, जो अब 42 के अनुमोदित लक्ष्य के मुकाबले केवल 29 स्क्वाड्रन रह गई है।
रिपोर्ट के अनुसार इस अपग्रेड योजना को “सुपर सुखोई प्रोग्राम” कहा जा रहा है। एक व्यापक ‘मिड-लाइफ अपग्रेड’ परियोजना है, जो सुखोई विमानों की सेवा अवधि को 20 वर्ष तक बढ़ाने की क्षमता रखती है। रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह प्रस्ताव फिलहाल रक्षा मंत्रालय के विचाराधीन है। इसे जल्द से जल्द कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) के पास मंजूरी के लिए भेजने की कोशिश की जा रही है।”
इस अपग्रेड में नए कॉकपिट, आधुनिक एवियोनिक्स, अत्याधुनिक रडार और इंफ्रारेड (IR) सेंसर, साथ ही एक नया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट शामिल होगा, जिसमें जैमर पॉड्स और अन्य सुरक्षा उपकरण होंगे। सूत्रों ने बताया कि इस प्रोग्राम की रूपरेखा लगभग अंतिम चरण में है। एक बार CCS की मंजूरी मिलते ही, सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को निर्देश दिया जाएगा कि वह पांच वर्षों के भीतर इसका इनीशियल ऑपरेशनल क्लियरेंस (IOC) संस्करण तैयार करे और सात वर्षों में फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस (FOC) संस्करण सौंपे।
क्यों है यह अपग्रेड अहम
MiG-21 के रिटायर होने के बाद IAF की लड़ाकू क्षमता में स्पष्ट गिरावट आई है। जबकि 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या है, वर्तमान में वायुसेना के पास केवल 29 स्क्वाड्रन ही बचे हैं। इसके अलावा, HAL से 83 तेजस Mk1A लड़ाकू विमान की डिलीवरी भी अभी शुरू नहीं हुई है। ऐसे में सुखोई अपग्रेड वायुसेना के लिए क्षमता बढ़ाने का प्रमुख उपाय बनकर उभरा है।
नवंबर 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने इस अपग्रेड के लिए स्वीकृति-आवश्यकता (Acceptance of Necessity) प्रदान की थी। दिसंबर 2023 में DAC ने सुखोई विमानों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट (EWS) की खरीद को भी मंजूरी दी थी, जिसमें नेक्स्ट-जेनरेशन रडार वॉर्निंग रिसीवर, सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर पॉड्स और अन्य उपकरण शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह नया सिस्टम सुखोई विमानों की ऑपरेशनल क्षमता को मजबूत करेगा और उन्हें दुश्मन के रडार और हथियार प्रणालियों से सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके अलावा, DAC ने पिछले साल सुखोई इंजनों के ओवरहॉल को भी हरी झंडी दी थी, जिससे उनके परिचालन जीवन में और वृद्धि होगी।
इस प्रकार, भारत का यह ‘सुपर सुखोई’ कार्यक्रम न केवल MiG-21 के खालीपन को भरने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह IAF को आने वाले दशक में तकनीकी रूप से सशक्त और युद्ध के लिए अधिक तैयार बनाएगा।
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