निलंबित 12 भाजपा विधायकों की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
Team News Danka
Updated: Mon 06th December 2021, 04:58 PM
सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों को एक साल के लिए विधानसभा से निलंबित करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया। इन विधायकों को पीठासीन अधिकारी के साथ कथित तौर पर बदसलूकी करने के मामले में विधानसभा से मानसून सत्र के दौरान निलंबित कर दिया गया था।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ से वकील सिद्धार्थ धर्माधिकारी ने कहा कि राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और विधायकों के निलंबन के खिलाफ दायर उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। पीठ ने कहा, ‘‘ ठीक है हम सुनवाई के लिए तारीख देंगे।’’ महाराष्ट्र अघाड़ी सरकार 22 से 28 दिसंबर के बीच मुंबई में राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र आयोजित करने वाली है। भाजपा विधायकों ने एक साल के लिए निलंबित करने संबंधी विधानसभा के प्रस्ताव को इस साल 22 जुलाई को चुनौती दी थी।
राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि विधान सभा अध्यक्ष के कक्ष में पांच जुलाई को पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ इन 12 विधायकों ने कथित रूप से दुर्व्यवहार किया था। इसके बाद इन 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव सदन ने पारित किया था। निलंबित किए गए 12 सदस्य संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया हैं।
इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने पेश किया और ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। सदन में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप को झूठा करार दिया था और कहा था कि घटना के बारे में जाधव का विवरण ‘‘एकतरफा’’ था। फडणवीस ने कहा था, ‘‘यह एक झूठा आरोप है और विपक्ष के सदस्यों की संख्या कम करने का प्रयास है क्योंकि हमने स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे पर सरकार के झूठ को उजागर किया है।’’
साथ ही कहा था कि भाजपा सदस्यों ने पीठासीन अधिकारियों से दुर्व्यवहार नहीं किया। हालांकि, जाधव ने इस आरोप की जांच कराने की मांग की थी कि शिवसेना के कुछ सदस्यों और उन्होंने खुद अभद्र टिप्पणी की थी और कहा था कि अगर यह साबित होता है तो वह किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं।