मंत्रियों का भ्रष्टाचार छुपाने चर्चा से भाग रही ठाकरे सरकार: देवेंद्र फडणवीस 

सिर्फ पांच दिनों का होगा विधानमंडल का शीतकालीन सत्र

मंत्रियों का भ्रष्टाचार छुपाने चर्चा से भाग रही ठाकरे सरकार: देवेंद्र फडणवीस 

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भ्रष्टाचार व वसूली में लिप्त महाराष्ट्र सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे सकती है। इस लिए सदन में चर्चा से भाग रही है। महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र नागपुर की बजाय मुंबई में आयोजित करने के बावजूद यह सत्र सिर्फ 5 दिनों का होगा। सोमवार को विधानमंडल कामकाज समिति ने 22 दिसंबर से 28 दिसंबर तक सत्र चलाने को मंजूरी दी। इस पर नाराजगी जताते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार पर जमकर हमला बोला।

थर्टी फर्स्ट की ज्यादा चिंता
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ठाकरे सरकार के कई मंत्रियों घोटाले उजागर हुए हैं। इसलिए सरकार शीत सत्र का सामना करने से बच रही है। इस सरकार को संसदीय कामकाज में रुचि नहीं है। शीत सत्र केवल 5 दिनों का होगा। कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में हमने अधिवेशन की अवधि बढ़ाने की मांग की है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि साल का आखरी सप्ताह होने के चलते 31 दिसंबर को लोग बाहर जाते हैं। इस पर मैंने तीन दिन के विराम के बाद दोबारा सत्र शुरू करने की मांग की। जनवरी महीने में 5 से 6 दिनों का कामकाज हो सकता है। लेकिन सरकार अधिवेशन का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। फडणवीस ने कहा कि मेरे काफी आग्रह के बाद अधिवेशन की अवधि बढ़ाने को लेकर 24 दिसंबर को दोबारा बैठक बुलाने का आश्वासन दिया गया। उन्होंने कहा कि पहले कभी महाराष्ट्र में ऐसी स्थिति नहीं आई थी।
नागपुर में हो सकता है बजट सत्र
फडणवीस ने कहा कि पिछले दो सालों से नागपुर में अधिवेशन नहीं हो रहा है। इसलिए विदर्भ के लोग ठगा महसूस कर रहे हैं। विदर्भ के लोगों को लग रहा है कि सरकार जानबूझकर नागपुर में अधिवेशन आयोजित नहीं कर रही है। इसके मद्देनजर मैंने अगले साल मार्च में होने वाले बजट सत्र को नागपुर में आयोजित करने की मांग की है। इस पर सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि इस बारे में मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी।
पेश होंगे 12 विधेयक
राज्य विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन 22 से 28 दिसंबर तक मुंबई में होगा। शीत सत्र के दौरान सदन में केवल 5 दिन कामकाज होगा। इस सत्र के दौरान 12 विधेयक पेश किए जाएंगे। सोमवार को विधानमंडल की कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने यह जानकारी दी। परब ने बताया कि शीत सत्र के पहले सप्ताह में 22, 23 और 24 दिसंबर को सदन में कामकाज होगा। दूसरे सप्ताह में 27 और 28 दिसंबर को सदन की कार्यवाही चलेगी। परब ने कहा कि बैठक में विपक्ष ने शीत सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की। इससे मद्देनजर विधानमंडल के कामकाज सलाहकार समिति की 24 दिसंबर को बैठक होगी। इस साल का आखिरी सप्ताह होने के कारण विधायकों की कामकाज के लिए सदन में मौजूद रहने की तैयारी को देखते हुए उस बैठक में तय किया जाएगा कि अधिवेशन की अवधि बढ़ाना है अथवा नहीं।
टीकाकरण और कोविट टेस्ट अनिवार्य
शीत सत्र के लिए विधान भवन में प्रवेश के लिए कोरोना रोधी टीके की दोनों खुराक लगवाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कोविड की आरटी पीसीआर जांच भी कराना होगा। कोविड की आरटी पीसीआर जांच हर सप्ताह करानी होगी। कोविड जांच की निगेटिव रिपोर्ट वाले व्यक्तियों को ही विधान भवन में प्रवेश मिल सकेगा। मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के साथ केवल एक अधिकारी को विधान भवन में प्रवेश दिया जाएगा। विधायकों के निजी सहायक (पीए) और वाहन चालकों के ठहरने के लिए विधान भवन के बाहर पंडाल में अलग से व्यवस्था की जाएगी। शीत सत्र के दौरान निजी व्यक्ति विधानमंडल में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।
नागपुर नहीं जा सकते सीएम
संसदीय कार्य मंत्री परब ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ है। डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री को अगले कुछ दिनों तक सफर न करने की सलाह दी है। मुख्यमंत्री शीत सत्र में मौजूद रहना चाहते हैं। इसलिए अधिवेशन नागपुर की बजाय मुंबई में आयोजित करने का फैसला लिया गया है। परब ने बताया कि मुख्यमंत्री शीत सत्र में हिस्सा लेंगे। परब ने कहा कि विपक्ष ने बजट अधिवेशन नागपुर में आयोजित करने की मांग की है। जिस पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया है। लेकिन बजट अधिवेशन होने के चलते इस बारे में मुख्यमंत्री और अफसरों से चर्चा के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।
विधानमंडल से घबराती है आघाड़ी सरकार: भंडारी
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष माधव भंडारी ने कहा कि कोरोना के नाम पर विधानमंडल अधिवेशन की कालअवधि कम करने वाली महाविकास आघाड़ी सरकार विधानमंडल से घबराने वाली सरकार है। भंडारी ने कहा कि कोरोना का संकट धीरे-धीरे कम हो रहा है। संसद का अधिवेशन भी शुरु हो गया है। पिछले साल और इस साल भी केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के बावजूद अधिवेशन की अवधि कम नहीं की, लेकिन राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार कोरोना का कारण बताकर अधिवेशन की अवधि बेहद कम रखकर विधानमंडल के समक्ष जाने से घबराती है।

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