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Friday, December 12, 2025
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बांबे हाईकोर्ट ने पूछा,किसने दिया इस नेता के घर जाकर टीका लगाने का आदेश?

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मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक बार फिर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को घर जाकर कोरोना टीका लगाने पर सवाल किया है। कोर्ट ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि आखिर किसके कहने पर एक वरिष्ठ नेता को उनके घर जाकर कोराना टीका लगाया गया। अदालत ने कहा कि हम इसका जवाब चाहते हैं। खंडपीठ ने मनपा से पूछा कि जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी तो कैसे एक वरिष्ठ राजनेता को घर जाकर टीका दिया गया था। यह मनपा ने किया था या फिर राज्य सरकार ने, हम इसका जवाब चाहते है। किसी न किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। खंडपीठ ने मनपा व सरकारी वकील को इसका पता लगाने का निर्देश दिया है। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि हमे विश्वास है कि केंद्र सरकार ऐसी नीति लेकर आएगी। जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा और उनको घर जाकर टीका लगाया जा सकेगा। खंडपीठ ने केंद्र सरकार को इस बारे में पुनर्विचार करने को कहा है। इस दौरान हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस को समाज का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को वायरस के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि केन्द्र को सीमा पर सुरक्षा बल तैनात कर वायरस का इंतजार करने की बजाय इसके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए घर के पास टीकाकरण केंद्र बनाने की योजना ऐसी है जैसे कोरोना से ग्रसित शख्स को टीकाकरण केंद्र बुलाना हो। कोरोना वायरस हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। हमे इसे खत्म करना पड़ेगा। यह शत्रु कुछ इलाकों में रहता है। लेकिन सरकार वहां नहीं जाना चाहती हैं। ऐसे में जरूरी है कि केंद्र सरकार सर्जिकल स्ट्राइक कर इसे बाहर निकालना चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि सरकार लोगों की भलाई के लिए निर्णय ले रही है। लेकिन इस तरह के फैसले लेने में इतना विलंब हो जाता है जिससे काफी लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। खंडपीठ के सामने बुजुर्गों के लिए घर घर टीका की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर पेशे से वकील धृति कपाडिया व कुणाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया था कि घर घर जाकर बुजुर्गों, दिव्यांगों को टीका लगा पाना संभव नहीं है लेकिन घर के निकट टीकाकरण केंद्र बनाए जा सकते हैं।

अन्य राज्यों में हो सकता है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं

खंडपीठ ने कहा कि केरला, बिहार, उड़ीसा व जम्मू- कश्मीर के अलावा वसई विरार महानगरपालिका में घर घर जाकर बुजुर्गों को टीका लगाया जा रहा है। आखिर यह इसे दूसरे राज्यों में क्यों नहीं प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ऐसे लोगों को नहीं दबा सकती है जो घर घर जाकर लोगों को टीका लगाना चाहते हैं। ऐसे में सिर्फ महाराष्ट्र व मुंबई महानगरपालिका घर घर टीके के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की प्रतीक्षा कर रही हैं। खंडपीठ ने कहा कि हमने हमेशा मुंबई मनपा की सराहना की है वह दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सकती हैं।

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